गुप्त नवरात्रि 2024: देवी दुर्गा की विशेष उपासना का पर्व- घट स्थापना और गुप्त नवरात्रि घटस्थापना तथा नवरात्रि में घट कब स्थापित किया जाएगा & नवरात्रि पूजा के नियम

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्रि एक प्रमुख नौ दिवसीय पर्व है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इस पर्व में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, उपवास और पवित्र पाठ किए जाते हैं, जो आध्यात्मिक शुद्धि, दिव्य आशीर्वाद और इच्छाशक्ति की वृद्धि के लिए माने जाते हैं। गुप्त नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है, और आगामी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व शनिवार, 6 जुलाई 2024 से प्रारंभ होगा और सोमवार, 15 जुलाई 2024 को समाप्त होगा। इस पावन पर्व का समय इस प्रकार है:

आयोजन: तिथि और समय

गुप्त नवरात्रि 2024 प्रारंभ: शनिवार, 6 जुलाई 2024
गुप्त नवरात्रि 2024 समाप्त: सोमवार, 15 जुलाई 2024
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 04:26 AM, 6 जुलाई 2024
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि समाप्त: 04:26 AM, 7 जुलाई 2024
घटस्थापना मुहूर्त: 05:28 AM से 10:06 AM

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के प्रमुख अनुष्ठान

गुप्त नवरात्रि के अनुष्ठान मुख्य रूप से तंत्र और साधना (आध्यात्मिक अभ्यास) की शक्ति को बढ़ाने पर केंद्रित होते हैं। विशेषकर तंत्र और साधना में रुचि रखने वाले भक्त इस समय विस्तृत पूजा-पाठ करते हैं। इस अवधि में उपवास का भी महत्वपूर्ण स्थान है।

मुख्य अनुष्ठान:

  1. नवरात्रि कलश स्थापना: देवी आद्या शक्ति के सम्मान में एक पवित्र कलश स्थापित किया जाता है। कलश में जौ बोए जाते हैं जो अंकुरित होते हैं। कलश के ऊपर एक कच्चा नारियल रखा जाता है और नीचे एक जल भरा कलश रखा जाता है। कलश स्थापना के पश्चात देवी भगवती के सामने अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है।
  2. क्रमिक पूजा: कलश स्थापना के बाद क्रमिक पूजा होती है। सबसे पहले गणेश पूजा, फिर वरुण पूजा और विष्णु पूजा होती है। भक्त शिव, सूर्य, चंद्रमा और नौ ग्रहों (नवग्रह) की भी पूजा करते हैं। अंत में, देवी भगवती की विशेष पूजा की जाती है।
  3. पाठ और उपवास: भक्त देवी पाठ और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। कई भक्त पूरे नौ दिनों तक कठोर उपवास रखते हैं।

आषाढ़ नवरात्रि में साधित किये जाने वाले प्रमुख मंत्र –

  1. “सब नर करहिं परस्पर प्रीति। चलहिम स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।”
  2. “ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।”
  3. “श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:।”
  4. ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम:
  5. ॐ दुं दुर्गायै नम:

गुप्त नवरात्रि व्रत के लाभ

गुप्त नवरात्रि के दौरान उपवास करने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ होते हैं:

  1. आध्यात्मिक शुद्धि: उपवास से मन और शरीर की शुद्धि होती है, जिससे आध्यात्मिक विकास और आत्मनिरीक्षण के लिए अनुकूल वातावरण बनता है।
  2. एकाग्रता में वृद्धि: उपवास और अनुष्ठानों का अनुशासन, मानसिक एकाग्रता और स्पष्टता को बढ़ाता है, जिससे गहन ध्यान और साधना में सहायता मिलती है।
  3. दिव्य आशीर्वाद: भक्तों का मानना है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान उपवास और ईमानदारी से पूजा करने से देवी दुर्गा के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जिससे सुरक्षा, समृद्धि और सफलता मिलती है।
  4. इच्छाशक्ति की मजबूती: उपवास की प्रथा इच्छाशक्ति और आत्मनियंत्रण को मजबूत करती है, जिससे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सहनशीलता और दृढ़ता का विकास होता है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: अनुष्ठानों में भाग लेने और उपवास के दौरान सात्विक (शुद्ध) आहार को बनाए रखने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे समग्र कल्याण और सामंजस्य में वृद्धि होती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि देवी शक्ति की नौ अवतारों की उपासना के लिए समर्पित एक नौ दिवसीय पर्व है, जिन्हें दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है, और इसे शाकंभरी नवरात्रि या गायत्री नवरात्रि भी कहा जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) के प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। इस अवधि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं के रूपों का सम्मान करते हैं।

Disclaimer-इस लेख में दी गयी जानकारी विभिन्न माध्यमों-ज्योतिषियों-पंचांग-मान्यताओं-धर्मग्रंथों-दंतकथाओं से ली गई हैं। सत्य संवाद इन जानकारियों की पुष्टि नहीं करता।

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