भारत सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक का मसौदा पेश किया है, जिसमें वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम करते हुए ज़िला कलेक्टर को वक्फ या सरकारी भूमि के विवादों में निर्णायक बनाने का प्रस्ताव है। इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड को यह अधिकार नहीं रहेगा कि वह किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सके। इसके बजाय यह निर्णय ज़िला कलेक्टर करेंगे। विधेयक का नाम बदलकर ‘यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी और डेवलपमेंट एक्ट, 1995‘ रखने का प्रस्ताव है।
वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव
इस विधेयक के माध्यम से वक्फ बोर्ड की संरचना में भी बदलाव लाने का प्रस्ताव है। इसमें दो मुस्लिम महिलाओं और दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान है। साथ ही एक नया सेक्शन जोड़ा गया है जिससे किसी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ घोषित करने से रोका जा सके। वर्तमान वक्फ अधिनियम, 1995 में वक्फ ट्रिब्यूनल ऐसे निर्णय करता था, लेकिन नए विधेयक के अनुसार यह निर्णय ज़िला कलेक्टर करेंगे।
वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति
वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वर्तमान में मुस्लिम समुदाय के सदस्य करते हैं। वक्फ बोर्ड वर्तमान में भारत भर में 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, जो कुल 9.4 लाख एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं। इन संपत्तियों का अनुमानित मूल्य ₹1.2 लाख करोड़ है, जिससे वक्फ बोर्ड भारत में सशस्त्र बलों और भारतीय रेल के बाद तीसरा सबसे बड़ा भू-स्वामी बन जाता है। वक्फ अधिनियम में अंतिम संशोधन 2013 में किया गया था।
एआईएमपीएलबी और विपक्ष का विरोध
इस विधेयक ने मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों की तीखी आलोचना का सामना किया है, जिन्होंने इसे समाज में विभाजन पैदा करने वाला कृत्य बताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा है कि वक्फ संपत्तियों की प्रकृति को बदलने या उन्हें सरकार या किसी व्यक्ति द्वारा हथियाने में आसान बनाने वाले किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। विधेयक का मसौदा बुधवार (7 अगस्त 2024) को लोकसभा सांसदों के बीच वितरित किया गया था।
कलेक्टर की शक्ति और वक्फ डीड की आवश्यकता
विधेयक के अनुसार कोई भी सरकारी संपत्ति जो वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी या घोषित की गई है, उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। यदि किसी संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने पर कोई प्रश्न उठता है तो इसे कलेक्टर के पास भेजा जाएगा, जो अपनी जांच के बाद यह निर्धारित करेंगे कि संपत्ति सरकारी है या नहीं और राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। यदि कलेक्टर संपत्ति को सरकारी मानते हैं तो वे राजस्व रिकॉर्ड में आवश्यक सुधार करेंगे और राज्य सरकार को रिपोर्ट देंगे, जो फिर वक्फ बोर्ड को रिकॉर्ड में सुधार करने का निर्देश देगा।
महिला और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व
प्रस्तावित विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करेगा। इसमें बोर्ड में दो महिलाओं और दो गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान है। साथ ही विधेयक में कहा गया है कि बोर्ड में शिया, सुन्नी और मुस्लिम समुदायों की अन्य पिछड़ी वर्गों के कम से कम एक सदस्य और बोहरा तथा आगा खानी समुदायों के एक-एक सदस्य को नामांकित किया जाएगा यदि उनके पास राज्य या संघ क्षेत्र में कार्यशील औकाफ (संपत्तियाँ) हैं।
भविष्य की दिशा
संशोधन विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के बयान में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि वक्फ अधिनियम, 1995 को औकाफ के बेहतर प्रशासन के लिए अधिनियमित किया गया था लेकिन यह इस संबंध में प्रभावी साबित नहीं हुआ है। इस विधेयक में अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न सिफारिशों और संबंधित पक्षों के विस्तृत परामर्श के बाद 2013 में व्यापक रूप से संशोधित किया गया था। बावजूद इसके यह देखा गया है कि अधिनियम में अभी भी सुधार की आवश्यकता है ताकि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमण हटाने और ‘वक्फ’ की परिभाषा सहित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सके।
संशोधन विधेयक को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संसद में इस विधेयक पर क्या निर्णय लिया जाता है और यह किस प्रकार से मुस्लिम समुदाय और वक्फ संपत्तियों के हितों को प्रभावित करता है।