मणिपुर के जिरीबाम में फिर भड़की हिंसा, सामान्य स्थिति बहाल करने के एक दिन बाद ही आगजनी और फायरिंग

MANIPUR VIOLENCE

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मणिपुर के जिरीबाम जिले में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हुए समझौते के मात्र 24 घंटे बाद ही ताजा हिंसा भड़क उठी है। अधिकारियों के अनुसार- “शुक्रवार रात को लालपानी गांव में सशस्त्र लोगों ने एक वीरान घर में आग लगा दी।”

लालपानी गांव में आगजनी और फायरिंग

अधिकारियों ने बताया कि- “लालपानी गांव में एक परित्यक्त घर को सशस्त्र लोगों ने शुक्रवार रात को जला दिया। यह एक अलग बस्ती है जिसमें कुछ मैतेई घर शामिल हैं और अधिकांश घरों को जिले में हिंसा भड़कने के बाद छोड़ दिया गया था।” उन्होंने कहा- “अपराधियों ने सुरक्षा में चूक का फायदा उठाकर यह आगजनी की।”

अधिकारियों ने आगे कहा- “सशस्त्र लोगों ने गांव को निशाना बनाते हुए कई राउंड गोले और गोलियां चलाईं। घटना के बाद सुरक्षा बलों को इलाके में तैनात किया गया।”

समझौते के बाद भी नहीं थमी हिंसा

जिरीबाम जिले में 1 अगस्त को मैतेई और हमार समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के बाद यह ताजा हिंसा हुई है। यह बैठक असम के कछार जिले में सीआरपीएफ सुविधा में आयोजित की गई थी। बैठक का संचालन जिरीबाम जिला प्रशासन, असम राइफल्स और सीआरपीएफ के कर्मियों द्वारा किया गया था। बैठक में थाडो, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

समझौते की शर्तें और आगामी बैठक

इस बैठक में दोनों पक्षों ने सामान्य स्थिति बहाल करने और आगजनी और फायरिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पूर्ण प्रयास करने का संकल्प लिया था। दोनों पक्षों ने जिरीबाम जिले में संचालन करने वाले सभी सुरक्षा बलों को पूरा सहयोग देने और नियंत्रित और समन्वित मूवमेंट को सुविधाजनक बनाने पर सहमति व्यक्त की थी। सभी भाग लेने वाले समुदायों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षरित एक संयुक्त बयान में यह बातें कही गई थीं। अगली बैठक 15 अगस्त को होगी।

हिंसा का इतिहास और परिणाम

पिछले साल मई से इम्फाल घाटी आधारित मैतेई और आसपास की पहाड़ियों में रहने वाले कुकी-ज़ो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

जिरीबाम जो इम्फाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में जातीय संघर्षों से काफी हद तक अछूता था, उस में इस साल जून में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा के कारण हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में स्थानांतरित होना पड़ा। जुलाई के मध्य में उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में एक सीआरपीएफ जवान की भी मौत हो गई थी।

जिरीबाम में ताजा हिंसा ने एक बार फिर से सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों को झटका दिया है। अब सभी की नजरें आगामी बैठक पर हैं, जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या वाकई में दोनों पक्ष सामान्य स्थिति बहाल करने के अपने वादे को निभा पाते हैं या नहीं।

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