प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के तहत केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की अध्यक्ष को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया। इस विज्ञापन में 45 पदों – 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव, को संविदा के आधार पर भरने का प्रस्ताव था। इस योजना का उद्देश्य सरकारी विभागों में विशेषज्ञों (जिनमें निजी क्षेत्र के लोग भी शामिल हैं) की नियुक्ति करना था।
2014 से पहले की नियुक्तियों में अस्थायी रूप , अब पारदर्शिता पर जोर
मंत्री जितेंद्र सिंह के पत्र में कहा गया- “2014 से पहले की अधिकांश लेटरल एंट्री अस्थायी रूप में की गई थीं, जिनमें पक्षपात के आरोप भी लगे थे। हमारी सरकार का प्रयास इसे संस्थागत रूप से संचालित, पारदर्शी और खुले रूप में करना है।” पत्र में यह भी जोड़ा गया कि प्रधानमंत्री इस बात पर दृढ़ विश्वास रखते हैं कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया को संविधान में निहित समता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ संरेखित किया जाना चाहिए, खासकर आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में।
राजनीतिक विवाद के बाद लिया गया निर्णय
इस निर्णय के एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिना आरक्षण के सरकारी पदों पर कोई भी नियुक्ति करने पर चिंता व्यक्त की थी। लेटरल एंट्री को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे दलितों, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) और आदिवासियों पर “हमला” करार दिया, जिसके बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद बढ़ गया।
केंद्र का कांग्रेस पर पलटवार: आरोपों को बताया भ्रामक
केंद्र सरकार ने कांग्रेस पर लेटरल एंट्री के सबसे बड़े चरण के दौरान भ्रामक दावे करने का आरोप लगाया। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कदम से अखिल भारतीय सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (SC/ST) की भर्ती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि लेटरल एंट्री 1970 के दशक से कांग्रेस-नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान होती आ रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
राहुल गांधी पर हमला: ‘आपने की शुरुआत, पीएम मोदी ने किया व्यवस्थित’
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि 1976 में वित्त सचिव के रूप में मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्त किया गया था। मेघवाल ने कहा- “आपने लेटरल एंट्री की शुरुआत की, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे व्यवस्थित किया।”
क्या है लेटरल एंट्री?
ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री का मतलब पारंपरिक सरकारी सेवा कैडर, जैसे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अलावा बाहर से व्यक्तियों की भर्ती करना है, ताकि वे सरकारी विभागों में मध्य और वरिष्ठ स्तर के पदों को संभाल सकें। इस प्रक्रिया का उद्देश्य उन विशेषज्ञों को नियुक्त करना है जो प्रशासनिक सेवाओं में नई दृष्टिकोण और अनुभव ला सकें।