तिरुपति के लड्डू की पवित्रता और उसकी रेसिपी, जानिए महाप्रसादम बनाने की विधि- Tirupati Laddu

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आंध्र प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसादम लड्डू (mahaprasadam in tirumala) को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पूर्ववर्ती जगनमोहन रेड्डी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नायडू ने एक लैब रिपोर्ट के हवाले से कहा कि तिरुपति लड्डू में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में गोमांस की चर्बी, सुअर की लार्ड और मछली के तेल की मिलावट थी। इस खुलासे से धार्मिक आस्था से जुड़े करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को गहरा धक्का लगा है।

प्रसाद में घी की मिलावट: टीडीपी ने जगन सरकार को घेरा

तिरुपति बालाजी मंदिर का महाप्रसादम लड्डू लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक है। टीडीपी (तेलुगू देशम पार्टी) ने आरोप लगाया है कि वाईएसआर कांग्रेस के शासन में मंदिर प्रसाद के निर्माण में मिलावट की गई, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक, लड्डू बनाने में जो घी इस्तेमाल किया गया था, उसमें गोमांस की चर्बी, सुअर की लार्ड और मछली के तेल जैसी चीजों की मिलावट की गई थी। टीडीपी प्रवक्ता ने इन आरोपों को सार्वजनिक करते हुए कहा कि इस प्रकार की मिलावट से भक्तों की आस्था को गहरी चोट पहुंची है।

तिरुपति लड्डू की पवित्रता और उसकी रेसिपी

तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद, जिसे ‘महाप्रसादम’ कहा जाता है, खास तौर पर तिरुपति की रसोई ‘पोटू’ में तैयार किया जाता है। इस लड्डू की रेसिपी को ‘दित्तम’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें खास मात्रा में सभी सामग्री मिलाई जाती है। इस रेसिपी को 300 सालों के इतिहास में केवल छह बार बदला गया है। लड्डू की खास बात इसकी दिव्य खुशबू है, जो भक्तों को प्रसाद का हिस्सा बनने के लिए आकर्षित करती है। लड्डू बनाने की प्रक्रिया में बेसन से बूंदी तैयार की जाती है, फिर गुड़, आंवला, काजू और किशमिश मिलाकर लड्डू बांधे जाते हैं।

तीन लाख लड्डू रोज बनते हैं, सालाना 500 करोड़ की कमाई

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड (टीटीडी) हर दिन लगभग 3 लाख लड्डू तैयार करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, लड्डू से बोर्ड की सालाना लगभग 500 करोड़ रुपये की कमाई होती है। 1715 से तिरुपति के लड्डू को महाप्रसाद के रूप में तैयार किया जा रहा है, और 2014 में इसे जीआई (Geographical Indication) टैग भी मिला था। इस टैग के साथ तिरुपति लड्डू की पवित्रता और विशिष्टता को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है, जिससे कोई और इस नाम से लड्डू नहीं बेच सकता।

लैब रिपोर्ट और मिलावट की पुष्टि

इस विवाद की जड़ में जुलाई महीने की वह रिपोर्ट है, जिसमें पाया गया कि लड्डू में इस्तेमाल हो रहे घी में बाहरी फैट मौजूद था। जांच के दौरान नारियल, कपास के बीज और सरसों के तेल की भी मिलावट का पता चला। इसके बाद टीटीडी ने घी सप्लाई करने वाले कॉन्ट्रैक्टर को ब्लैकलिस्ट कर दिया और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से नया घी मंगाना शुरू कर दिया। हालांकि, नए घी की कीमत पहले की तुलना में काफी ज्यादा थी।

चंद्रबाबू नायडू ने इस रिपोर्ट को अब सार्वजनिक करते हुए आरोप लगाया कि लड्डू में गोमांस और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल हो रहा था, जिससे हिंदू धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।

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