उत्तरोत्तर प्रगति के लिए भवन निर्माण के समय वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी प्रकार, घर के मुख्य द्वार का निर्माण करते समय भी वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों (vastu tips for main door) का ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का प्रमुख मार्ग होता है। यदि मुख्य द्वार सही दिशा में स्थित है तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता रहता है। वास्तु के अनुसार, सही दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में सौभाग्य और सुख का संचार होता है।
मुख्य द्वार के लिए वास्तु नियम –
- दिशा का महत्व: यदि आपका घर पूर्वमुखी (main door vastu for east facing house) है, तो प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए ताकि सुबह की सूर्य किरण सीधे आपके घर में संचारित हो सके। यह वास्तु शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण कारक माना गया है। उत्तर-पूर्वी कोण आपके प्रवेश द्वार के लिए सबसे उत्तम स्थान है, जो सूर्य की किरणों के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा को भी घर में लाता है।
- दिशा चयन: वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए, क्योंकि इन दिशाओं को शुभ माना जाता है। दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशाओं में मुख्य द्वार बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं।
- द्वार का आकार: आपके घर का मुख्य द्वार घर के अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। यह माना जाता है कि ऐसा द्वार घर के सदस्यों की प्रगति और स्वास्थ्य के लिए शुभ होता है।
- दरवाजों की संख्या: मुख्य द्वार के सामने एक क्रम में तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए, क्योंकि यह स्थिति वास्तु दोष उत्पन्न कर सकती है, जिससे घर में अशांति हो सकती है।
- द्वार का वजन: मुख्य द्वार का वजन बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जाएं रुक सकती हैं।
- रंग का चुनाव: मुख्य द्वार पर कभी भी काले रंग की पुताई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि गहरे रंग उदासी, अहंकार और नकारात्मक भावनाओं को भड़काते हैं।
- सामग्री और डिज़ाइन: मुख्य द्वार लकड़ी का बना होना चाहिए और इसमें एक के बजाय दो भाग (पल्ले) होने चाहिए। द्वार का उपयोग करते समय किसी भी प्रकार की अप्रिय ध्वनि नहीं आनी चाहिए।
- दहलीज या दालान : मुख्य द्वार की दहलीज संगमरमर या लकड़ी से निर्मित होनी चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को रोक कर सकारात्मक ऊर्जा को घर में संचार करने देती है।
- सफाई: मुख्य द्वार हमेशा स्वच्छ और व्यवस्थित रहना चाहिए, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है ।
इन वास्तु नियमों का पालन करके आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रवाह सुनिश्चित कर सकते हैं।