बल्दीराय (सुल्तानपुर) क्षेत्र में सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत हुई अनियमितताओं की जांच के लिए मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम महुली और भखरी गांव पहुंची। इस टीम में जिला प्रशिक्षण अधिकारी संतोष गुप्ता, डीपीआरओ अभिषेक शुक्ल और जिला पिछड़ा वर्ग अधिकारी मुदित श्रीवास्तव शामिल थे। अधिकारियों की टीम के गांव में पहुंचने की खबर फैलते ही अधिकांश लाभार्थी अपने घरों में ताला बंद करके भाग खड़े हुए जिससे जांच में बाधा उत्पन्न हुई। इसके बावजूद गांव के कुछ लोगों ने अधिकारियों को इस योजना में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं।
गांवों में अपात्र महिलाओं की सूची
जांच के दौरान यह सामने आया कि महुली गांव की सूची में दर्शाई गई 24 लाभार्थियों में से केवल 11 ही वास्तव में महुली की निवासी थीं। बाकी के नाम अन्य गांवों से संबंधित थे जो कि योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करते हैं। इसके अलावा भखरी गांव की सूची में दो महिलाएं महुली गांव की थीं, जिनका नाम इस सूची में शामिल किया गया था।
ससुराल में विवाह के बावजूद योजना का लाभ
ग्रामीणों द्वारा दी गई जानकारी में यह भी खुलासा हुआ कि महुली गांव की कई महिलाओं के नाम सामूहिक विवाह योजना की सूची में दर्ज थे जबकि वे पहले से ही विवाहित थीं और उनके बच्चे भी थे। उदाहरण के लिए भखरी की सूची में दर्ज सरिता पुत्री रामकेवल की ससुराल महुली में है और उनके तीन बच्चे हैं। इसी प्रकार महुली की सूची में रीना का नाम दर्ज था, जिनकी शादी अयोध्या के इटौंजा में हो चुकी थी और उनके भी दो बच्चे थे।
नाम बदलकर की गई शादियां
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ मामलों में महिलाओं के नाम बदलकर शादियां कराई गई थीं। ग्रामीणों ने बताया कि अपनी ससुराल में रह रही दो देवरानी-जेठानी का नाम बदलकर योजना का लाभ उठाया गया था। यह फर्जीवाड़ा योजना की नीतियों के खिलाफ है और इससे योजना की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगता है।
जांच की स्थिति और रिपोर्ट
अधिकारियों ने बताया कि जांच अभी जारी है और कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो चुकी है। अधिकांश लाभार्थियों के गायब होने के कारण जांच में कठिनाई आई है। जांच पूरी होने के बाद ही पूरी रिपोर्ट सीडीओ को सौंप दी जाएगी। रिपोर्ट की समग्र जानकारी केवल सीडीओ द्वारा ही दी जा सकेगी।