सुप्रीम कोर्ट ने आज (20 अगस्त) देशभर में डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा की स्थितियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 9 अगस्त को एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा- “यह मामला सिर्फ कोलकाता में हुई एक हत्या का नहीं है बल्कि यह पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित प्रणालीगत मुद्दों को उठाता है।”
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए बनेगी ‘नेशनल टास्क फोर्स’
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि महिलाओं के लिए कार्यस्थलों पर सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए एक राष्ट्रीय सहमति विकसित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा- “अगर महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं तो यह उनके लिए समान अवसरों से वंचित करने जैसा है।” कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक दस सदस्यीय ‘नेशनल टास्क फोर्स’ (NTF) के गठन का आदेश दिया है जो देशभर में सुरक्षा के उपायों पर सिफारिशें देगी। यह टास्क फोर्स तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
पश्चिम बंगाल सरकार से कोर्ट के तीखे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस की मामले की जांच पर सवाल उठाए। कोर्ट ने डॉक्टर के नाम, तस्वीरें और वीडियो क्लिप के मीडिया में प्रसारित होने पर गहरी चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि अस्पताल के प्रिंसिपल ने हत्या को आत्महत्या के रूप में पेश करने की कोशिश की। कोर्ट ने पूछा कि जब अस्पताल में ऐसी गंभीर घटना घटी तो FIR दर्ज करने में इतनी देर क्यों हुई और अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के दौरान पुलिस ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
डॉक्टरों से अपील: वापस लौटें काम पर
कोर्ट ने देशभर में विरोध कर रहे डॉक्टरों से अपील की है कि वे अपने कर्तव्यों पर वापस लौटें क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उठाया है। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों को अपनी सेवाएं प्रदान करनी चाहिए और जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है कि वे अस्पतालों में सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करें।