सुलतानपुर, 14 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर (Sultanpur) जिले के कादीपुर तहसील क्षेत्र के करौंदी कला में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन पर टिप्पणी (Comment on Sanatan Dharma) करने वाले महात्मा गांधी स्मारक इंटर कॉलेज के शिक्षक श्यामलाल निषाद (Shyamlal Nishad) को निलंबित कर दिया गया है।
हिंदुवादी संगठनों की शिकायत पर पहले ही केस दर्ज होने के बाद विद्यालय प्रबंधक ने सोमवार को निलंबन की कार्रवाई की और रिपोर्ट जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) को भेज दी। लेकिन इस कार्रवाई के बीच निलंबित शिक्षक ने कहा कि पिछड़ों, शोषितों और हक-वंचितों के लिए संघर्ष जारी रहेगा। लोकतंत्र के हत्यारे व पिछड़ों का शोषण करने वाले लोग मेरे निलंबन से ज्यादा खुश न हों। उनका कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव का नतीजा है।
विधायक राजेश गौतम ने किया था श्यामलाल का विरोध
घटना की शुरुआत करौंदीकलां के अमरेमऊ में आयोजित उस कार्यक्रम से हुई, जहां श्यामलाल निषाद ने सनातन पर टिप्पणियां कीं। मंच पर कादीपुर से भाजपा विधायक राजेश गौतम (Kadipur MLA Rajesh Gautam) भी मौजूद थे। श्याम लाल निषाद की बातों का विधायक ने पुरजोर विरोध किया, जिसके बाद कार्यक्रम में हंगामा मच गया।
श्यामलाल निषाद द्वारा सनातक पर की गई टिप्पणी को हिंदुवादी संगठनों ने आपत्तिजनक बताते हुए योगी सरकार से कार्रवाई की मांग की। संगठनों ने तत्काल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, और मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
विद्यालय प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लेते हुए निलंबन की कार्रवाई की। प्रबंधक ने कहा कि शिक्षक की टिप्पणियां विद्यालय की छवि को प्रभावित कर रही थीं, इसलिए डीआईओएस को रिपोर्ट भेजी गई है। आगे की जांच होगी। जिला प्रशासन ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन शिक्षक ने इसे ‘अनुचित’ बताते हुए विज्ञप्ति जारी की।
निलंबन के बाद श्यामलाल निषाद ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “खुद को श्रेष्ठ बताकर सनातन को विकृत करने वाले, भगवा की आड़ में बच्चियों का यौन शोषण करने वाले, भोले-भाले लोगों का शोषण करने वाले, राजनीतिक लाभ के लिए देश का सौहार्द बिगाड़ने वाले, लोकतंत्र के हत्यारे और पिछड़ों का शोषण करने वाले लोग मेरे निलंबन से ज्यादा खुश न हों।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जीवन की आखिरी सांस तक पिछड़ों के हित, शिक्षा-जागरूकता, शोषितों-पीड़ितों और हक-वंचितों को न्याय दिलाने का संघर्ष जारी रहेगा। शिक्षक का यह बयान न केवल व्यक्तिगत बचाव है, बल्कि दलित-पिछड़े वर्गों के सामाजिक संघर्ष को नए आयाम देता है।
शिक्षक ने अपने अगले कदमों का खुलासा करते हुए बताया कि 19 अक्टूबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर भवन, दादर (मुंबई) में मोस्ट इंडिया सम्मेलन आयोजित है, जहां वे शिरकत करेंगे। इसके बाद 24 अक्टूबर को मछुआरा भाइयों की समस्याओं के समाधान हेतु महाराष्ट्र शासन को ज्ञापन सौंपा जाएगा। उत्तर प्रदेश लौटने पर मोस्ट चिंतकों की बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। श्यामलाल ने कहा, “यह निलंबन मुझे रोक नहीं सकता। पुलिस पर दबाव बनाकर मुकदमा दर्ज कराया गया और अब निलंबन की कार्रवाई कराई गई है, जो अनुचित है। लेकिन मैं पिछड़ों के हक की लड़ाई में डिगूंगा नहीं।”
यह विवाद सुलतानपुर में सामाजिक तनाव का कारण बना है। हिंदुवादी संगठन शिक्षक की टिप्पणियों को सनातन की अपमान मानते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बता रहे हैं। जिला प्रशासन ने मामले को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन शिक्षक की प्रतिक्रिया ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया है। श्यामलाल निषाद, जो ‘गुरुजी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं, पिछड़े वर्गों के बीच लोकप्रिय हैं और उनके संघर्ष की कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
विद्यालय स्तर पर निलंबन के बाद डीआईओएस की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। अगर शिक्षक की अपील खारिज हुई, तो यह मामला लंबा खिंच सकता है। लेकिन श्यामलाल की दृढ़ता से साफ है कि वे पिछड़ों के हितों की लड़ाई को नए मोर्चों पर ले जाएंगे।




