पीएम पद और बांग्लादेश छोड़कर अवामी लीग की नेता और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत पहुंच चुकी हैं. ऐसा पता चला है कि उनका विमान दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा है . प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने यहां रहने के लिए शरण तो नहीं मांगी है पर वह कुछ समय तक भारत में जरूर रह सकती हैं। कुछ समय बाद यहां से लंदन (यूके) के लिए रवाना होने की सम्भावना है। आइये एक नज़र उनके जीवन और राजनैतिक कॅरियर पर डालते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को तुंगिपारा, गोपालगंज जिला, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हुआ था। वह बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान और शेख फजलतुन निसा की बेटी हैं। हसीना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह नगर में प्राप्त की और बाद में ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के साथ-साथ, उनके जीवन पर उनके पिता के राजनीतिक संघर्षों का भी गहरा प्रभाव पड़ा।
प्रारंभिक राजनीतिक करियर
शेख हसीना का राजनीतिक करियर 1981 में शुरू हुआ जब उन्हें बांग्लादेश अवामी लीग का अध्यक्ष चुना गया। उस समय, बांग्लादेश एक अस्थिर राजनीतिक दौर से गुजर रहा था और हसीना ने अपने नेतृत्व में पार्टी को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। उनके नेतृत्व में अवामी लीग ने जनसमर्थन प्राप्त किया और धीरे-धीरे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति बन गई।
प्रधानमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल (1996-2001)
1996 में शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। उनके पहले कार्यकाल में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए, जिनमें शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास, और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा उन्होंने 1997 में चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में शांति समझौता किया, जो देश में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
विपक्ष में संघर्ष और वापसी
2001 में चुनाव हारने के बाद शेख हसीना विपक्ष में रहीं। इस दौरान उन्होंने अवामी लीग को मजबूत करने और भविष्य की चुनावी चुनौतियों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2004 में हसीना पर एक भयानक हमला हुआ जिसमें उन्हें नुकसान नहीं हुआ, लेकिन उनके कई समर्थक मारे गए। इस घटना ने उन्हें और अधिक दृढ़ और संकल्पित बनाया।
प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल (2009-2014)
2008 के चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बाद शेख हसीना ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद संभाला। इस कार्यकाल में उन्होंने आर्थिक विकास, आधारभूत संरचना का विकास, और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित किया। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश ने उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि देखी और कई सामाजिक संकेतकों में सुधार हुआ। उन्होंने डिजिटल बांग्लादेश के अपने दृष्टिकोण को भी लागू किया, जिसमें देश में आईटी और तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया गया।
विवाद और आलोचना
शेख हसीना के राजनीतिक करियर में कई विवाद और आलोचनाएँ भी शामिल हैं। विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने उन पर सत्ता के दुरुपयोग और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। विशेष रूप से, 2014 के चुनाव को लेकर विवाद हुआ, जिसका विपक्ष ने बहिष्कार किया और चुनाव में धांधली के आरोप लगाए। इसके अलावा मीडिया स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर भी उनकी सरकार पर आरोप लगे हैं।
तीसरा और चौथा कार्यकाल (2014-वर्तमान)
2014 में हसीना ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभाला और 2018 में चौथी बार इस पद पर बनी रहीं। इन कार्यकालों में उन्होंने बांग्लादेश को एक मध्यम-आय वाले देश में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार, बुनियादी ढांचे का विकास, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार किया। इसके अलावा, उन्होंने रोहिंग्या संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें लाखों शरणार्थियों को आश्रय और सहायता प्रदान की गई।
अंतरराष्ट्रीय संबंध और कूटनीति
शेख हसीना ने बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश ने भारत, चीन, अमेरिका, और अन्य देशों के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी वैश्विक मंच पर बांग्लादेश की आवाज को प्रमुखता से उठाया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार
शेख हसीना ने महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। उनके कार्यकाल में, बांग्लादेश में महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक भागीदारी में सुधार हुआ है। उन्होंने महिला सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई कानून और नीतियाँ लागू की हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण के लिए माइक्रोक्रेडिट योजनाओं का विस्तार किया गया है।
व्यक्तिगत जीवन
शेख हसीना का व्यक्तिगत जीवन भी संघर्षों और प्रेरणाओं से भरा है। उनके पति डॉ. एम. ए. वाजेद मियां एक परमाणु वैज्ञानिक थे, जिनका 2009 में निधन हो गया। उनके दो बच्चे हैं: साजिब वाजेद जॉय और साइम वाजेद पुतुल। हसीना का परिवार राजनीति और सार्वजनिक सेवा में गहरे रूप से शामिल है और उनके बेटे जॉय ने भी बांग्लादेश के डिजिटल विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।