छठ की आवाज़ शारदा सिन्हा का निधन: एक लोकगायिका की अनमोल विरासत-Sharda Sinha Died at 72

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लोकगायिका शारदा सिन्हा का नाम छठ पर्व और भोजपुरी, मैथिली, और मगही लोकगीतों से जुड़ा हुआ है। ‘बिहार कोकिला’ के रूप में प्रसिद्ध, शारदा सिन्हा ने दशकों तक अपनी मधुर आवाज से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोकसंगीत को नई ऊंचाइयां दीं। उनका निधन 5 नवंबर, 2024 को 72 वर्ष की आयु में हुआ। वह पिछले कुछ समय से एम्स, दिल्ली में उपचाराधीन थीं और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही थीं।

छठ पर्व की आवाज़ और जन-जन में लोकप्रिय-Sharda Sinha Songs

शारदा सिन्हा को छठ पूजा से जुड़ी आवाज माना जाता था। उनके गीतों में “छठी मइया आई ना दुआरिया”, “कातिक मास इजोरिया” जैसे गीत आज भी छठ पूजा के दौरान हर घर में गूंजते हैं। उनकी आवाज़ में मिट्टी की सुगंध और अपनेपन की मिठास थी, जो हर श्रोता के दिल को छू लेती थी। ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ के रूप में ख्यात शारदा सिन्हा की आवाज़ ने पीढ़ियों को लोकसंस्कृति से जोड़ा और उसे जिंदा रखा।

शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा और योगदान

शारदा सिन्हा का जन्म 1 नवंबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले में हुआ था। उनके शास्त्रीय संगीत की शुरुआत पंडित रघु झा के साथ हुई थी, जिन्होंने उन्हें पंचगछिया घराने का गहन प्रशिक्षण दिया। इसके बाद उन्होंने पंडित सीताराम हरि दांडेकर और पन्ना देवी से भी संगीत का अध्ययन किया। उन्होंने 1971 में अपने पहले मैथिली गीत “दुलरुआ भैया” से शुरुआत की और देखते ही देखते उनकी आवाज़ ने लोगों के दिलों में जगह बना ली।

उनकी सादगी और सहजता ने उन्हें विशेष बनाया और उनकी गायकी का यह अंदाज लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ। उन्होंने “हम आपके हैं कौन” का गीत “बाबुल”, “गैंग्स ऑफ वासेपुर 2” का “तार बिजली” गाया, जो बेहद पसंद किए गए।

पुरस्कार और उपलब्धियाँ-Sharda Sinha News

शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले। उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा, उन्हें 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, बिहार रत्न, और मिथिला विभूति सम्मान जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारत के कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों में भी प्रदर्शन किया, और उनका नाम भारत सरकार के सांस्कृतिक राजदूतों में शुमार है।

सोशल मीडिया और ऑनलाइन उपस्थिति

अपने अनुयायियों से जुड़े रहने के लिए शारदा सिन्हा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहीं। उनके यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पर वे अपने गीतों और कई सांस्कृतिक गतिविधियों को साझा करती थीं। उनके चैनल पर लगभग 75,000 और इंस्टाग्राम पर 2.69 लाख से अधिक अनुयायी हैं, जहाँ उन्होंने अपने प्रशंसकों के साथ अपने संगीत और त्योहारों की शुभकामनाएँ साझा कीं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. शारदा सिन्हा का सबसे प्रसिद्ध गीत कौन सा है?
शारदा सिन्हा का छठ पूजा का गीत “छठी मइया आई ना दुआरिया” और “कातिक मास इजोरिया” सबसे प्रसिद्ध हैं, जो बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अत्यधिक लोकप्रिय हैं।

2. शारदा सिन्हा को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
उन्हें 1991 में पद्मश्री, 2018 में पद्मभूषण और 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले हैं।

3. शारदा सिन्हा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
शारदा सिन्हा का जन्म 1 नवंबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले में हुआ था।

4. क्या शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड फिल्मों में भी गाने गाए हैं?
हाँ, उन्होंने “हम आपके हैं कौन” का “बाबुल” और “गैंग्स ऑफ वासेपुर- II” का “तार बिजली” जैसे कई लोकप्रिय गीत गाए हैं।

5. शारदा सिन्हा का अंतिम गीत कौन सा था?
बीमार होने के बावजूद उन्होंने 2024 के छठ पर्व के लिए भी एक गीत जारी किया, जो उनके प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

शारदा सिन्हा की मृत्यु लोकसंगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी आवाज़ और कला हमेशा श्रोताओं के दिलों में जीवित रहेगी।

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