30 महीनों से पाकिस्तान की जेल में बंद मछलीशहर के सात मछुआरे: परिवारों की हालत बदतर, सरकारी सहायता नदारद

डॉ. रमेशचंद्र तिवारी हत्याकांड-Jaunpur news-jaunpur crime news-dr. ramesh tiwari murder case-jaunpur police-crime news in hindi-astrologer murder case in jaunpur-Jaunpur News in Hindi-Latest Jaunpur News in Hindi-Jaunpur Hindi Samachar

जौनपुर: मछलीशहर क्षेत्र के सात मछुआरे जो रोजी-रोटी के लिए गुजरात के अरब सागर में मछली पकड़ने का काम कर रहे थे, 8 फरवरी 2022 को अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए। जानकारी के अभाव में इन मछुआरों की नाव गलती से सरहद लांघ गई और उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया। तब से ये सातों मछुआरे पाकिस्तान की जेल में कैद हैं और उनके परिवारों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है।

परिवारों की माली हालत बदतर, सुनवाई नदारद

इन मछुआरों के परिवारों की माली हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वे जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हैं। मछलीशहर कोतवाली क्षेत्र के बसिरहा गांव निवासी विनोद कुमार की पत्नी हीरावती जो अपने दो बच्चों के साथ घर चला रही है, उसने बताया कि कई बार जिले के उच्चाधिकारियों से मदद की गुहार लगाई लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वहीं घुरहू बिंद की पत्नी पार्वती जो छह बच्चों की देखभाल कर रही हैं, उसका भी हाल बेहाल है। पार्वती ने भी अपने पति की वापसी के लिए आंसू भरी फरियाद की है।

कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि नहीं आया काम

परिजनों ने दुख जताते हुए बताया कि दो साल बीत गए हैं लेकिन अभी तक कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया है। उन्हें आशंका है कि कहीं उनके बेटों और पतियों को पाकिस्तान की जेल में नुकसान न पहुंचा हो। यह निराशाजनक स्थिति है, जहां इन परिवारों को केवल भगवान के सहारे छोड़ दिया गया है।

मजदूरी कर चला रहे हैं जीवन

इन मछुआरों के घर की महिलाएं और बुजुर्ग पिछले दो साल से मजदूरी कर के अपने परिवार का पेट भर रहे हैं। उनके पास रहने के लिए पक्की छत भी नहीं है और वे किसी तरह झोपड़ी बना कर जीवन बसर कर रहे हैं। यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि इन परिवारों की पीड़ा को कोई सुनने वाला नहीं है।

प्रशासन का बयान

जिला अधिकारी रवींद्र मांदड़ का कहना है कि इन परिवारों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पत्र नहीं प्राप्त हुआ है लेकिन इस मुद्दे को आपके माध्यम से संज्ञान में लिया गया है। वे जल्द ही इन परिवारों से संपर्क करेंगे और मछुआरों को छुड़ाने के लिए केंद्रीय गृह और रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखेंगे।

यह मामला प्रशासन की निष्क्रियता और मछुआरों के परिवारों की पीड़ा को उजागर करता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार जल्द ही इन मछुआरों को वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाएगी और उनके परिवारों को राहत प्रदान करेगी।

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