image credit- twitter snap
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिन्डनबर्ग रिसर्च ने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिन्डनबर्ग का दावा है कि बुच दंपत्ति के पास उन गुप्त ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी थी, जिन्हें अदानी समूह के धन शोधन घोटाले में इस्तेमाल किया गया था। हिन्डनबर्ग के इस नए हमले ने देश की राजनीति में उबाल ला दिया है, जिसमें विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
कांग्रेस की मांग: हितों के टकराव को दूर करने के लिए केंद्र सरकार तुरंत कार्रवाई करे
कांग्रेस पार्टी ने शनिवार, 10 अगस्त 2024 को इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार से मांग की कि सेबी की अदानी समूह के खिलाफ चल रही जांच में सभी प्रकार के हितों के टकराव को समाप्त करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि सेबी की “अजीब हिचकिचाहट” अदानी मेगा घोटाले की जांच करने में पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति द्वारा नोट की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “उच्चतम अधिकारियों की संभावित मिलीभगत” को केवल एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की स्थापना से ही हल किया जा सकता है, जो पूरे घोटाले की जांच करेगी।
सेबी की निष्क्रियता पर उठाए सवाल
हिन्डनबर्ग ने अपने ब्लॉगपोस्ट में कहा कि अदानी समूह के मॉरिशस और अन्य ऑफशोर शेल संस्थाओं की जांच में सेबी की “चौंकाने वाली उदासीनता” सामने आई है। इसके साथ ही, सेबी के X अकाउंट को लॉक किए जाने का भी मामला सामने आया, जिससे इसके पोस्ट नॉन-फॉलोअर्स के लिए प्राइवेट हो गए। कांग्रेस ने इसे भी निशाना बनाते हुए कहा कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंड्स के वास्तविक मालिकों की रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर किया और 2019 में इसे पूरी तरह से हटा दिया। जयराम रमेश ने कहा कि अदानी घोटाले के संदर्भ में सेबी की निष्क्रियता और रिपोर्टिंग नियमों को कमजोर करने के कारण उसने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
अदानी-बुच मुलाकात और कांग्रेस का बयान
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह भी बताया कि हिन्डनबर्ग रिसर्च के नए खुलासों ने गौतम अदानी और माधबी बुच के बीच 2022 में हुई मुलाकातों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। रमेश ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि बुच और उनके पति का उन फंड्स में वित्तीय हित था, जिनका इस्तेमाल अदानी समूह की कंपनियों में बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया गया था, जो सेबी के नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने इस स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा- “सरकार को सेबी की जांच में सभी हितों के टकराव को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।”