हाल ही में अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर भारतीय बाजार नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक ऐसे ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी रखी, जिसमें गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी ने भारी निवेश किया था। हिंडनबर्ग के मुताबिक ये फंड कथित तौर पर उन नेटवर्क्स का हिस्सा थे, जिनका उपयोग विनोद अदानी द्वारा धन को हेरफेर करने के लिए किया गया था।
धवल बुच के ईमेल से उठे सवाल
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि 22 मार्च 2017 को जब माधबी पुरी बुच को SEBI की अध्यक्ष पद के लिए नियुक्ति होने वाली थी, तब उनके पति धवल बुच ने मॉरीशस स्थित फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट को एक ईमेल भेजा। इस ईमेल में धवल बुच ने अपने और अपनी पत्नी के निवेश के संबंध में आग्रह किया कि वे “अकाउंट्स को ऑपरेट करने के लिए अकेले अधिकृत व्यक्ति” हों। हिंडनबर्ग के अनुसार यह कदम संभावित रूप से उस समय की राजनीतिक संवेदनशील नियुक्ति से पहले संपत्तियों को उनकी पत्नी के नाम से हटाने का प्रयास प्रतीत होता है।
धवल बुच: एक अनुभवी प्रोफेशनल
धवल बुच का परिचय उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार वह वर्तमान में ब्लैकस्टोन और अल्वारेज एंड मार्सल में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा, वह गिल्डन के बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में भी सेवा दे रहे हैं। धवल बुच ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIT-D) से 1984 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने यूनिलीवर में कार्यकारी निदेशक के रूप में सेवा दी और अंततः कंपनी के मुख्य प्रोक्योरमेंट अधिकारी के रूप में पदोन्नत हुए। धवल बुच ने खुद को “प्रोक्योरमेंट और सप्लाई चेन के सभी पहलुओं में गहरी विशेषज्ञता रखने वाले” के रूप में वर्णित किया है।

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में हुए खुलासे
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उनके द्वारा देखे गए व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार धवल बुच की कुल संपत्ति $10 मिलियन है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धवल बुच उस समय यूनिलीवर के साथ थे जब कथित तौर पर विनोद अदानी की कंपनियों में निवेश हुआ था। इसके अलावा जब धवल बुच ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत थे, तो कंपनी ने माईंडस्पेस और नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट को प्रायोजित किया, जो भारत के दूसरे और चौथे रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) थे जिन्हें सार्वजनिक आईपीओ जारी करने के लिए SEBI की मंजूरी मिली थी।
SEBI की निष्पक्षता पर उठे सवाल
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार SEBI की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी के कारण SEBI की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि SEBI के प्रमुख पद पर रहते हुए माधबी पुरी बुच की यह स्थिति उन्हें विनोद अदानी से जुड़े मामलों में निष्पक्षता बनाए रखने से रोक सकती है। इस रिपोर्ट के आने के बाद से SEBI और इसके प्रमुख अधिकारियों पर संभावित हितों के टकराव को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट ने भारतीय वित्तीय जगत में हड़कंप मचा दिया है। SEBI की निष्पक्षता पर उठे सवाल और माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ लगे आरोपों ने अदानी समूह से जुड़े मामलों में नियामक की भूमिका पर गंभीर संदेह पैदा किया है। अब देखना होगा कि इस विवाद के बीच SEBI और भारतीय प्रशासन किस तरह से इन आरोपों का जवाब देते हैं।