रक्षाबंधन हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे दुनिया भर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच के सुंदर और पवित्र रिश्ते को प्रदर्शित करता है, जिसमें प्रेम, देखभाल और स्नेह की भावना शामिल होती है। वर्तमान समय में, रक्षाबंधन उपहारों के आदान-प्रदान के साथ मनाया जाता है, जबकि पहले बहनों को प्यार की निशानी के रूप में पैसे दिए जाते थे।
पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन
रक्षाबंधन के पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके महत्व और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ इस प्रकार हैं:
भगवान कृष्ण और द्रौपदी
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने दुष्ट राजा शिशुपाल का वध किया था ताकि अच्छे लोगों की रक्षा की जा सके। इस युद्ध में कृष्ण की उंगली कट गई और खून बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया ताकि खून बहना बंद हो सके। कृष्ण ने द्रौपदी के इस स्नेह और चिंता को महसूस किया और खुद को उसके भाई के रूप में घोषित कर दिया। उन्होंने उसे वचन दिया कि वे भविष्य में कभी भी उसकी मदद के लिए तैयार रहेंगे। कई साल बाद जब पांडव जुए में द्रौपदी को हार गए और कौरव उसे अपमानित करने लगे, तब कृष्ण ने उसकी साड़ी को दिव्य रूप से इतना लंबा कर दिया कि कौरव उसे उतार नहीं सके। इस प्रकार, कृष्ण ने अपना वचन निभाया और द्रौपदी की रक्षा की।
यम और यमुना
एक अन्य कथा के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व यम जो कि मृत्यु के देवता हैं और यमुना नदी से संबंधित है। कहानी के अनुसार, जब यमुना ने यम को राखी बांधी, तो यम ने उसे अमरता का वरदान दिया। यम इस भाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने घोषणा की कि जो भी भाई राखी बंधवाएगा और अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देगा, वह भी अमर हो जाएगा। इस कथा ने रक्षाबंधन को और भी महत्वपूर्ण और पवित्र बना दिया है।
उपहारों का महत्व
आजकल, रक्षाबंधन के पर्व को मनाने का तरीका बदल गया है, लेकिन इसके पीछे का मूल भाव वही है – भाई-बहन के बीच का अद्वितीय और अटूट संबंध। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं।
समकालीन उत्सव
रक्षाबंधन न केवल एक पारिवारिक त्योहार है, बल्कि यह समाज में प्रेम, एकता और आपसी सम्मान का प्रतीक भी है। इस त्योहार के माध्यम से, हम अपने परिवार और समाज के सदस्यों के प्रति अपने प्रेम और कर्तव्य का प्रदर्शन करते हैं। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, भाई-बहन का संबंध हमेशा मजबूत और अटूट रहता है। रक्षाबंधन का त्योहार हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने की प्रेरणा देता है, जिससे हमारा समाज और भी सशक्त और सुदृढ़ बनता है।
Disclaimer– इस लेख में दी गयी जानकारी विभिन्न मान्यताओं,धर्मग्रंथों और दंतकथाओं से ली गई हैं, सत्यसंवाद इन की पुष्टि नहीं करता।