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संसद में नारेबाजी नहीं, बहस और परिश्रम चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 24 जून 2024 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के उद्घाटन सत्र से पहले ज़िम्मेदार विपक्ष की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “भारत को ज़िम्मेदार विपक्ष चाहिए। लोग नारे नहीं, विषयवस्तु चाहते हैं; वे संसद में बाधा नहीं, बहस और परिश्रम चाहते हैं।” उन्होंने नव-निर्वाचित सांसदों का स्वागत करते हुए इस दिन को भारत के लोकतांत्रिक सफर में मील का पत्थर करार दिया।
विकसित भारत की ओर: तीसरे कार्यकाल की शुरुआत
वाराणसी से सांसद के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने इस सत्र के महत्व को रेखांकित किया और इसे विकसित भारत (Viksit Bharat) की दिशा में आगे बढ़ने के अवसर के रूप में देखा। उन्होंने कहा, “हाल ही में हुए चुनावों ने दुनिया के सबसे बड़े चुनाव को शानदार तरीके से पूरा किया, जो गर्व का क्षण है। यह चुनाव विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद दूसरी बार एक सरकार को लगातार तीसरी बार पुनर्निर्वाचित किया गया है।”
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ: लोकतंत्र पर ‘काला धब्बा’
प्रधानमंत्री ने 25 जून की 50वीं वर्षगांठ पर ध्यान आकर्षित किया, जिसे उन्होंने भारत के लोकतंत्र पर एक ‘काला धब्बा’ बताया, जब संविधान की अवहेलना की गई थी। उन्होंने कहा, “कल 25 जून है। भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं की गरिमा के प्रति समर्पित लोगों के लिए यह एक ऐसा दिन है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह उस काले धब्बे की 50वीं वर्षगांठ है जब संविधान को खारिज किया गया, नष्ट कर दिया गया, और आपातकाल की घोषणा करके देश को एक जेल में बदल दिया गया।”
तीसरे कार्यकाल में तीन गुना मेहनत का वादा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सरकार की प्रतिबद्धता को आश्वस्त करते हुए कहा, “मैं लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में तीन गुना ज्यादा मेहनत करेगी और तीन गुना ज्यादा उपलब्धियां हासिल करेगी।”
युवा सांसदों की भूमिका पर विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री ने युवा सांसदों की महत्वपूर्ण उपस्थिति को भी स्वीकार किया और राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में उनकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवा सांसद नई ऊर्जा और दृष्टिकोण लेकर आते हैं, जो भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक है।
सत्र का पूर्वावलोकन और विपक्ष के नेता की नियुक्ति
पहला सत्र, जो 3 जुलाई तक चलेगा, प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल की योजनाओं का पूर्वावलोकन करेगा। इसके साथ ही, 2014 से खाली पड़ी विपक्ष के नेता की पदवी पर राहुल गांधी की औपचारिक नियुक्ति की भी संभावना है।
प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य ने न केवल नव-निर्वाचित सांसदों को बल्कि पूरे देश को आने वाले सत्र की महत्वपूर्णता के प्रति जागरूक किया। इस सत्र में संभावित रूप से कई महत्वपूर्ण विधायी और नीतिगत घोषणाएं की जाएंगी, जो भारत को एक विकसित राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ाएंगी।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में ज़िम्मेदार विपक्ष की आवश्यकता, लोकतांत्रिक परंपराओं की सुरक्षा और अपने तीसरे कार्यकाल में तीन गुना मेहनत करने के संकल्प पर जोर दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह सत्र भारत के विकास के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कदम है और उन्होंने नव-निर्वाचित सांसदों को अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहने की अपील की। मोदी का भाषण भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के महत्वपूर्ण मुद्दों को छूता हुआ, भविष्य की ओर एक आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।