सुल्तानपुर के मोची को राहुल गांधी द्वारा सिले चप्पलों के लिए 2 लाख की पेशकश, बेचने को तैयार नहीं

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रामचेत ने कहा -“जब मैं अपनी दुकान पर पहुंचा, तो एक व्यक्ति जो काफी धनवान दिख रहा था, वह इंतजार कर रहा था। उसने 2 लाख रुपये और उससे अधिक की पेशकश की, लेकिन मैंने उसे भी मना कर दिया। मुझे कई फोन कॉल भी आए, लेकिन मैंने उनकी पेशकशों को भी ठुकरा दिया” ।

राहुल गांधी का अनोखा दौरा

सुल्तानपुर में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा 26 जुलाई को एक मोची की दुकान पर रुककर सिले गए चप्पल की मांग अब बहुत बढ़ गई है और लोग उसे 2 लाख रुपये तक में खरीदने को तैयार हैं। लेकिन दुकान के मालिक रामचेत ने इस जोड़ी को बेचने से मना कर दिया है, क्योंकि अब यह चप्पल उनके लिए अनमोल हो गई है।

अदालत में पेशी के दौरान की गई मुलाकात

राहुल गांधी जो सुल्तानपुर में 2018 में दर्ज एक मानहानि मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति देने आए थे, उस समय रामचेत की दुकान पर रुके थे। इस मामले में उन पर आरोप था कि उन्होंने उस समय के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

दुकान पर सिले चप्पल और उपहार में मिली मशीन

जिला कोर्ट के पास स्थित दुकान पर राहुल गांधी ने जूते सिलने की कला सीखी और एक चप्पल सिली। अगले दिन उन्होंने रामचेत को एक इलेक्ट्रॉनिक जूता सिलाई मशीन भेजी। अब रामचेत सुल्तानपुर में एक तरह से सेलिब्रिटी बन गए हैं और दूर-दूर से लोग उनके दुकान पर आकर अपने जूते पॉलिश करवा रहे हैं और राहुल गांधी द्वारा सिले गए चप्पल को देखने आ रहे हैं।

बढ़ती मांग और उच्चतम पेशकश

रामचेत ने बताया कि उन्हें उस चप्पल के लिए 1 लाख रुपये की पेशकश मिली थी। “आज सुबह एक बड़ी कार में एक व्यक्ति मेरे घर पहुंचा और राहुल जी द्वारा सिले चप्पल के लिए मुझे 1 लाख रुपये की पेशकश की, लेकिन मैंने मना कर दिया। जब उसने जोर दिया, तो मैंने फिर से मना कर दिया।”

रामचेत ने कहा -“जब मैं अपनी दुकान पर पहुंचा, तो एक व्यक्ति जो काफी धनवान दिख रहा था, वह इंतजार कर रहा था। उसने 2 लाख रुपये और उससे अधिक की पेशकश की, लेकिन मैंने उसे भी मना कर दिया। मुझे कई फोन कॉल भी आए, लेकिन मैंने उनकी पेशकशों को भी ठुकरा दिया” ।

रामचेत ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा सिले गए चप्पल उनके लिए अनमोल हैं। उन्होंने कहा- “हजारों या लाखों क्यों, अगर कोई 1 करोड़ रुपये भी देता है, तो भी मैं इन चप्पलों को नहीं बेचूंगा, वह इन चप्पलों को फ्रेम करवाकर दुकान में लगवाएंगे।” उन्होंने कहा- “जब तक मैं जिंदा हूं, मैं इन्हें अपने सामने रखूंगा” ।

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें उन लोगों के बारे में पता है जिन्होंने चप्पल खरीदने की कोशिश की तो उन्होंने कहा- “मैं किसी को नहीं जानता। मैंने उनके नाम और पते नहीं पूछे क्योंकि मैं वह चप्पल बेचने नहीं जा रहा हूं।”

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