निर्जला एकादशी का महत्व
निर्जला एकादशी सनातन परंपरा में एक महत्वपूर्ण एकादशी है, जो भगवान विष्णु की उपासना को समर्पित है। इसे ‘ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। ‘निर्जला’ का अर्थ है ‘बिना जल के’। इस दिन भक्त बिना खाना और पानी ग्रहण किए उपवास करते हैं। माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत सभी पापों का नाश करता है और मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। इसे भीमसेनी एकादशी -(Bhimseni Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत सभी तीर्थ स्थलों में स्नान के समान है। इस दिन स्नान और दान करने से सभी चिंताएं दूर होती हैं और वैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु की उपासना करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी 2024 की तिथि और समय- Nirjala Ekadashi 2024 Shubh Muhurat timings
2024 में, निर्जला एकादशी 18 जून को मनाई जाएगी। एकादशी का शुभ समय 17 जून को दोपहर 1:07 बजे से शुरू होकर 18 जून को दोपहर 1:45 बजे तक रहेगा। उदयातिथि (सूर्योदय के आधार पर तिथि) के अनुसार, निर्जला एकादशी 18 जून को मनाई जाएगी। इस दिन सभी भक्तों को बिना खाना और पानी ग्रहण किए भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए।
निर्जला एकादशी पूजा विधि- Nirjala Ekadashi Rituals
जल्दी उठें: ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से दो घंटे पहले) में उठकर स्नान करें। परंपरागत रूप से, व्रत करने वाले पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा, कावेरी आदि में स्नान करते हैं। यदि नदी में स्नान संभव नहीं है, तो घर पर बाल्टी में कुछ गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
साफ कपड़े पहनें: स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें।
वेदिका तैयार करें: तिल, सरसों के तेल, या घी का दीपक जलाकर घर के वेदिका पर रखें।
भगवान विष्णु का आह्वान करें: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते हुए जल, पुष्प, गंध, दीप, धूप और नैवेद्य अर्पित करें। पायस, हलवा, या कोई भी शाकाहारी मिठाई और फल अर्पित कर सकते हैं।
तांबूल अर्पित करें: पान, सुपारी, नारियल (दो भागों में विभाजित), केले या अन्य फल, चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और दक्षिणा अर्पित करें।
भगवान विष्णु की प्रार्थना करें:भगवान विष्णु की सच्चे मन से प्रार्थना करें।
व्रत कथा पढ़ें: निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
अतिरिक्त पाठ और जाप: विष्णु सहस्रनाम का पाठ या नाम जप करें।
दान करें: भोजन, नकद या आवश्यक वस्तुएं दान करें।
संध्या पूजा: शाम को 6 बजे दीपक और धूप जलाकर भगवान विष्णु की प्रार्थना करें। फूल (वैकल्पिक), जल और भोग (कोई भी मिठाई) या फल/सूखे मेवे अर्पित करें।
पूजा का समापन: आरती करें और भगवान विष्णु को अंतिम प्रणाम अर्पित करें।
निर्जला एकादशी पर दान का महत्व
सनातन परंपरा में दान को अत्यंत महत्वपूर्ण पुण्य कार्य माना गया है। माना जाता है कि जब कोई भक्त या दाता जरूरतमंद को दान देता है, तो वह पापों से मुक्त हो जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कुछ दान के फल इस जीवन में मिलते हैं, जबकि कुछ अगले जीवन में प्राप्त होते हैं। दान स्वर्ग की ओर ले जाता है और व्यक्ति को सुखों का अनुभव करने योग्य बनाता है। पृथ्वी पर और परलोक में, एक व्यक्ति को उसके दान के कार्यों के लिए ही सम्मान मिलता है।
निर्जला एकादशी पर दान करने योग्य वस्तुएं
निर्जला एकादशी के शुभ अवसर पर अन्न और अनाज का दान सर्वोत्तम माना गया है। कहा जाता है कि इस पुण्य दिन पर जरूरतमंद और असहायों को अन्न दान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, यह व्यक्ति को कल्याण की ओर अग्रसर करता है।
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