कालसर्प दोष दूर करने के लिए नाग पंचमी को करें इस मंत्र का पूजन ,दूर होंगी जीवन की सारी बाधाएं

nagpanchami

नाग पंचमी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सर्पों की पूजा करना और उनके प्रति आदर व्यक्त करना है। इस लेख में हम नाग पंचमी के महत्व, इतिहास और पूजा विधि पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचमी का पर्व मुख्यतः सर्पों की पूजा के लिए जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में सर्पों का विशेष महत्व है और उन्हें देवी-देवताओं के साथ जोड़ा गया है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्प धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रतीक माने जाते हैं। नाग पंचमी के दिन सर्पों की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके अलावा, यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है, क्योंकि सर्पों का संरक्षण महत्वपूर्ण है।

नाग पंचमी का इतिहास

नाग पंचमी के इतिहास की बात करें तो यह पर्व बहुत प्राचीन है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, महाभारत के समय जब जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पदाह यज्ञ किया, तो सर्पों का वंश समाप्त होने की कगार पर पहुँच गया। तब आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रुकवाया और सर्पों को जीवनदान दिया। इसी घटना की स्मृति में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सर्पों को गले में धारण किया था, इसीलिए इस दिन सर्पों की पूजा की जाती है।

2024 में नागपंचमी तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 9 अगस्त 2024 को सुबह 8:15 पर प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 10 अगस्त 2024 को सुबह 06:09 पर समाप्त होगी। इसलिए नागपंचमी 9 अगस्त को मनाई जाएगी।

नाग पंचमी की पूजा विधि

नाग पंचमी की पूजा विधि सरल और सुगम है। इस दिन लोग अपने घरों और मंदिरों में नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजा करते हैं। पूजा विधि निम्नलिखित है:
स्नान और साफ-सफाई: सबसे पहले सभी लोग स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई की जाती है।
पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल पर एक साफ स्थान पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए दूध, धूप, दीप, फूल, अक्षत (चावल), हल्दी, कुमकुम, और मिठाई की आवश्यकता होती है।
मंत्रोच्चार और पूजा: नाग देवता की प्रतिमा के सामने धूप, दीप जलाकर पूजा की जाती है। दूध, फूल, और अक्षत अर्पित किया जाता है। पूजा के दौरान निम्न मंत्रो का उच्चारण आवश्यकतानुसार किया जाता है-

सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
अर्थात – संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर करके हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारंबार प्रणाम।

ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।। – भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और फिर सवा लाख बार इस मंत्र का जाप करें. शास्त्रों में कहा गया है कि इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

ॐ सर्पाय नमः – नाग पंचमी के दिन सर्प की पूजा करते समय इस मंत्र का उच्चारण करने से सर्पदंश का भय दूर होता है , साथ ही सांप कभी घर में प्रवेश नहीं करते।

आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के बाद आरती की जाती है और सभी को प्रसाद वितरण किया जाता है।

नाग पंचमी के अन्य अनुष्ठान

नाग पंचमी के दिन लोग विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान भी करते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और केवल फलाहार करते हैं। इस दिन किसान अपने खेतों में नाग देवता की पूजा कर अच्छी फसल की कामना करते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस दिन कुश्ती प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। महिलाएँ इस दिन घर के दरवाजे और दीवारों पर गोबर से सर्पों के चित्र बनाकर उनकी पूजा करती हैं।

आधुनिक समय में नाग पंचमी

आधुनिक समय में नाग पंचमी का महत्व और भी बढ़ गया है। यह पर्व हमें पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी का अहसास कराता है। नाग पंचमी के माध्यम से हम सर्पों के संरक्षण का संदेश भी फैलाते हैं। आज के समय में जब पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है, ऐसे में नाग पंचमी जैसे पर्व हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं के संरक्षण की प्रेरणा देते हैं।

नाग पंचमी एक महत्वपूर्ण भारतीय पर्व है जो सर्पों की पूजा और उनके संरक्षण के प्रति समर्पित है। इस पर्व का महत्व, इतिहास और पूजा विधि जानकर हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को और भी समझ सकते हैं। यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी का अहसास कराता है और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। नाग पंचमी के माध्यम से हम अपने परिवार और समाज में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

Disclaimer– इस लेख में दी गयी जानकारी विभिन्न मान्यताओं,धर्मग्रंथों और दंतकथाओं से ली गई हैं, सत्यसंवाद इन की पुष्टि नहीं करता।

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