मौलाना शहाबुद्दीन रजवी image credit-https://x.com/Shahabuddinbrly
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल को सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों के संगठन –मुस्लिम जमात ने खुले दिल से समर्थन देने का निर्णय लिया है। संगठन का मानना है कि यह बिल मुसलमानों की आर्थिक तंगी को दूर करने में सहायक साबित होगा। शुक्रवार को बरेली के ग्रांड मुफ्ती हाउस में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस बिल पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने की।
वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता की आवश्यकता
बैठक के दौरान मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल से वक्फ संपत्तियों को भूमाफियाओं द्वारा बेचे जाने और लीज पर देने के अवैध धंधे पर रोक लगेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ बोर्ड के गठन में पारदर्शिता अपनाई जानी चाहिए और केवल अमानतदार और स्वच्छ छवि वाले व्यक्तियों को ही सदस्य बनाया जाना चाहिए। अपराधी या दागदार छवि वाले व्यक्तियों को बोर्ड में शामिल करने से पद का गलत दुरुपयोग होता है, जिससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग होता है।
वक्फ संपत्तियों की दुर्दशा पर चिंता
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने वक्फ बोर्ड के अध्यक्षों, अधिकारियों और सदस्यों पर आरोप लगाया कि वे भूमाफियाओं के साथ मिलकर वक्फ संपत्तियों को खुर्द-बुर्द कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वक्फ बोर्ड सही तरीके से कार्य करता तो देशभर में मुसलमानों की आर्थिक स्थिति में सुधार स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों से प्राप्त आमदनी का सही उपयोग गरीब, कमजोर और जरूरतमंद मुसलमानों की शिक्षा और मदद के लिए होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
सरकार से बेहतर नियंत्रण की मांग
बैठक में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि वक्फ बोर्ड की कार्यकारणी में गैर मुस्लिमों को सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही मस्जिद के इमामों और खिदमत करने वालों की तनख्वाह तय करने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया जाना चाहिए। संगठन ने प्रधानमंत्री और अल्पसंख्यक मंत्री को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है, जिसमें इन मांगों को सरकार के सामने रखा गया है। मौलाना ने कहा कि अगर सरकार पहले ही वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाती, तो कई मुसलमानों का भला हो सकता था।