‘एक देश एक चुनाव’: मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी-One Nation One Election meaning

one nation one election meaning what is one nation one election

केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की योजना- ‘एक देश, एक चुनाव’, को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को यह जानकारी दी। यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है, जिसने मार्च में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का खाका तैयार किया गया है।

समानांतर चुनावों की योजना:

समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की गई है। इसके बाद, स्थानीय निकाय चुनावों को 100 दिन के भीतर कराने की योजना है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य चुनावों की लगातार होने वाली प्रक्रिया को सरल बनाना और चुनावी खर्च को कम करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस विचार के समर्थक रहे हैं और उन्होंने इसे देश के विकास में आने वाली बाधा बताया है।

संविधान संशोधन की आवश्यकता:

इस प्रस्ताव के लागू होने के लिए संविधान में 18 संशोधन की जरूरत बताई गई है। इनमें से कुछ संशोधन राज्य विधानसभाओं की मंजूरी के बिना किए जा सकते हैं, लेकिन कुछ संशोधन, जैसे कि एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र, के लिए आधे से अधिक राज्यों की मंजूरी जरूरी होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)- what is one nation one election

1. ‘एक देश, एक चुनाव’ का क्या अर्थ है?
यह एक ऐसी योजना है जिसमें पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे। इसका मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे, जिससे अलग-अलग समय पर होने वाले चुनावों की प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।

2. इस योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का उद्देश्य चुनावों की प्रक्रिया को सरल बनाना, खर्च को कम करना और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करना है। इसके अलावा, इससे विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना आसान होगा।

3. ‘एक देश, एक चुनाव’ लागू होने पर क्या बदलाव होंगे?
यह योजना संविधान में संशोधन की मांग करती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया एकसमान हो जाएगी। इसके लिए मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र भी एकसमान होंगे।

4. क्या सभी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं?
नहीं, कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने इसका विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया और कहा कि चुनाव तभी होने चाहिए जब उनकी जरूरत हो।

इस पहल को सरकार ने देश के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे में बड़े सुधार के रूप में देखा है, लेकिन इसके सफलतापूर्वक लागू होने के लिए संवैधानिक संशोधनों की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *