मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, AAP ने कहा ‘सत्य की विजय’

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) ने आज सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को ‘सत्य की विजय’ करार दिया, जिसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दी गई है। सिसोदिया को कथित शराब नीति मामले में गिरफ्तार किए जाने के करीब 18 महीने बाद जमानत मिली है।

सत्य की जीत: राघव चड्ढा

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP नेता राघव चड्ढा ने कहा- “आज पूरा देश खुश है क्योंकि दिल्ली के शिक्षा क्रांति के हीरो मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है। मैं माननीय सुप्रीम कोर्ट का दिल से आभार व्यक्त करता हूं। मनीष जी को 530 दिनों तक जेल में रखा गया। उनका अपराध यह था कि उन्होंने गरीब बच्चों को बेहतर भविष्य दिया। प्रिय बच्चों, आपके मनीष अंकल वापस आ रहे हैं।”

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: न्याय का सम्मान

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि बिना ट्रायल में महत्वपूर्ण प्रगति के सिसोदिया की कैद जारी रखना ‘न्याय का मजाक’ होगा। जस्टिस गवई ने कहा- “18 महीनों की कैद… ट्रायल का अभी तक शुरू न होना और अपीलकर्ता को त्वरित न्याय का अधिकार से वंचित किया जाना, यह सभी बातें विचारणीय हैं। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को इस पर ध्यान देना चाहिए था।”

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रतिक्रिया

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले पर X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा- “मनीष सिसोदिया की जमानत सत्य की विजय है।” उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए इसे तानाशाही का थप्पड़ बताया। मान ने कहा- “वे 17 महीनों तक जेल में रहे। उन महीनों में उनका जीवन तबाह हो गया। वे उस समय के दौरान बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर सकते थे”।

AAP नेता संजय सिंह की उम्मीद

AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- “हमें उम्मीद है कि पार्टी के अन्य नेता अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन को भी जमानत और न्याय मिलेगा। इस फैसले के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नतमस्तक हूं।”

शराब नीति विवाद और गिरफ्तारी

मनीष सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 26 फरवरी, 2022 को गिरफ्तार किया था। वे अब निरस्त हो चुकी दिल्ली एक्साइज पॉलिसी 2021-22 के विवाद के केंद्र में थे। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया, जो CBI की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) से उत्पन्न हुआ था। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट में जमानत की दलीलें

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला तीव्र बहसों के बाद आया, जिसमें शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसियों से ट्रायल की समय-सीमा पर सवाल उठाए। मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामले में 493 गवाहों की सूची होने के कारण कोर्ट ने एजेंसियों से स्पष्टता मांगी कि ट्रायल कब तक पूरा हो सकता है।

पिछली सुनवाई में अदालत ने न्यायिक प्रक्रिया की लंबाई पर चिंता व्यक्त की थी। अदालत ने पूछा था- “इन मामलों में सुरंग का अंत आप कहां देखते हैं?”

यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जब दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 मई को और ट्रायल कोर्ट ने 30 अप्रैल को उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

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