स्वतंत्रता के बाद निर्विरोध चुने गए लोकसभा अध्यक्ष- Lok Sabha Speaker elected unopposed after independence in Parliament of India

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Lok Sabha Elections 2024 के बाद यदि विपक्षी ‘INDIA bloc’ गठबंधन अगले सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव कराने में सफल होता है, तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार होगा, क्योंकि अभी तक यह पद हमेशा सर्वसम्मति से चुना गया है।

इतिहास में पहली बार स्पीकर का चुनाव:
ब्रिटिश भारत की केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव पहली बार 24 अगस्त, 1925 को हुआ था, जब स्वराज पार्टी के उम्मीदवार विट्ठलभाई जे. पटेल ने टी. रंगाचारीअर के खिलाफ यह पद जीता था। पटेल, जो पहले गैर-सरकारी सदस्य थे, उन्होंने यह चुनाव केवल दो वोटों के अंतर से जीता था।

विपक्ष की मांग और सरकार का रुख:
लोकसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत से उत्साहित विपक्षी ‘INDIA’ गठबंधन अब आक्रामक रूप से उपाध्यक्ष का पद मांग रहा है, जो परंपरागत रूप से विपक्षी पार्टी के सदस्य को दिया जाता है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा- “अगर सरकार उपाध्यक्ष के रूप में विपक्षी नेता को स्वीकार नहीं करती है, तो हम लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए मुकाबला करवाएंगे,”।

लोकसभा सत्र और नई चुनौतियाँ:
18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा, जिसमें निचले सदन के नए सदस्य शपथ लेंगे और अध्यक्ष का चुनाव होगा। लोकसभा चुनावों में ‘INDIA’ गठबंधन ने 233 सीटें जीतीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 293 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखी।

विपक्षी गठबंधन की रणनीति:
विपक्षी गठबंधन ,भाजपा के सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) पर भी लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए दबाव डाल रहा है, नहीं तो पार्टी के क्रमिक विघटन का सामना करने की धमकी दे रहा है। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने मुंबई में रविवार को कहा, “हमारे पास अनुभव है कि भाजपा उनके समर्थन करने वालों को धोखा देती है।”

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
1925 से 1946 के बीच केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष पद के लिए छह बार मुकाबला हुआ था। विट्ठलभाई पटेल को 20 जनवरी, 1927 को सर्वसम्मति से पुनः चुना गया था। 1930 में गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के आह्वान पर पटेल ने पद छोड़ दिया।

1946 का अंतिम चुनाव:
24 जनवरी, 1946 को केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष पद के लिए आखिरी मुकाबला हुआ था, जब कांग्रेस नेता जी. वी. मावलंकर ने कावासजी जहांगीर को तीन वोटों के अंतर से हराया था। मावलंकर बाद में संविधान सभा और अनंतिम संसद के अध्यक्ष बने।

स्वतंत्रता के बाद से सर्वसम्मति:
स्वतंत्रता के बाद से लोकसभा अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुने गए हैं। एम. ए. अयंगर, जी. एस. ढिल्लों, बलराम जाखड़ और जी. एम. सी. बालयोगी को बाद की लोकसभाओं में फिर से अध्यक्ष चुना गया था। अयंगर को 1956 में मावलंकर की मृत्यु के बाद अध्यक्ष चुना गया था। ढिल्लों 1969 में चौथी लोकसभा के अध्यक्ष बने और फिर 1971 में पांचवीं लोकसभा के अध्यक्ष बने। जाखड़ सातवीं और आठवीं लोकसभा के अध्यक्ष थे और दो पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र अध्यक्ष हैं। बालयोगी 12वीं और 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष थे, जब तक कि 2002 में उनकी हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु नहीं हो गई।

इस प्रकार, स्वतंत्रता के बाद से लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता आया है, लेकिन अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विपक्षी ‘INDIA’ गठबंधन की रणनीति क्या रंग लाती है।

Featured image credit – Sansad TV

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