जौनपुर में अधिवक्ताओं के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के विरोध में शुक्रवार को वकीलों का आक्रोश फूट पड़ा। दीवानी न्यायालय के गेट को बंद कर उन्होंने पुलिस कर्मियों का प्रवेश रोक दिया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस विरोध प्रदर्शन के कारण न्यायालय का कामकाज पूरी तरह से ठप रहा, जिससे वहां मौजूद सभी लोग प्रभावित हुए।
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अधिवक्ताओं की बैठक में पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जितेंद्र नाथ उपाध्याय की अध्यक्षता में शुक्रवार को एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पुलिस द्वारा दो अधिवक्ताओं के खिलाफ गलत तरीके से एफआईआर दर्ज किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि पुलिस एफआईआर को खत्म नहीं करती है तो अधिवक्ता सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
जिला जज से मुलाकात और समाधान की कोशिश
बैठक के बाद संघ के अध्यक्ष, मंत्री, पूर्व अध्यक्ष तेज बहादुर सिंह और पूर्व अध्यक्ष प्रेम शंकर मिश्रा ने जिला जज वाणी रंजन अग्रवाल से मुलाकात की। जज ने बताया कि 20 अगस्त को डीएम और एसपी यहां आएंगे और वार्ता के जरिए इस मामले का समाधान किया जाएगा।
एफआईआर की पृष्ठभूमि और विवाद का कारण
यह मामला कांस्टेबल संदीप शाह द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे से जुड़ा है। अधिवक्ता प्रशांत गुप्ता के अनुसार, दहेज उत्पीड़न के एक मामले में दूसरी ऑर्डर शीट लगने के कारण एक आरोपी के खिलाफ वारंट जारी हो गया था। इस आरोपी को 12 अगस्त को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब पुलिस आरोपियों को जेल ले जा रही थी, तब प्रशांत गुप्ता ने कांस्टेबल संदीप से थोड़ी देर रुकने का अनुरोध किया ताकि मजिस्ट्रेट को सच्चाई बताई जा सके। लेकिन कांस्टेबल ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। इस घटना के बाद कांस्टेबल संदीप ने प्रशांत गुप्ता, गोरख श्रीवास्तव और अन्य के खिलाफ मारपीट, बलवा, सरकारी कार्य में बाधा जैसी गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी।