इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा, जब ग्रह-नक्षत्रों का एक अद्वितीय संयोग बनने जा रहा है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास, वाराणसी के सदस्य पं. दीपक मालवीय के अनुसार 26 अगस्त को सुबह 8:20 बजे अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और यह 27 अगस्त की सुबह 6:34 बजे तक रहेगी। इसी दिन रात्रि 9:10 मिनट से रोहिणी नक्षत्र भी शुरू होगा जो 27 अगस्त की रात्रि 8:23 बजे तक चलेगा। इन सभी कारकों के एक साथ आने से एक अत्यंत शुभ जयंती योग का निर्माण होगा, जो द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय भी बना था।
इस जयंती योग के साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग और शश राजयोग भी बन रहा है, जो इस वर्ष के जन्माष्टमी पर्व को और भी महत्वपूर्ण बना देता है। पं. दीपक मालवीय बताते हैं कि 26 अगस्त को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाएगा। गृहस्थ लोग 26 अगस्त को जन्माष्टमी का उत्सव मनाएंगे जबकि वैष्णवजन 27 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे।
पंडित मालवीय के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनकी जन्मकुंडली में नवग्रहों में से चार ग्रह- चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति, और शनि उच्च राशि में थे। साथ ही सूर्य, बुध और शुक्र स्वराशि में तथा राहु, वृश्चिक और केतु वृषभ राशि में विराजमान थे। इस विशिष्ट ग्रह-नक्षत्रों के संयोग ने जयंती योग का निर्माण किया जिसमें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने षोडश कला से युक्त होकर अवतार लिया था। इसी शुभ योग में इस वर्ष भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा।