जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों की घोषणा: तीन चरणों में होगा मतदान, परिणाम 1 अक्टूबर को

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भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर विधान सभा चुनावों (Jammu and Kashmir assembly elections) के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। केंद्र शासित प्रदेश में तीन चरणों में चुनाव संपन्न होंगे, जो 18 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलेगा। चुनाव परिणामों की घोषणा 1 अक्टूबर को की जाएगी।

चरणबद्ध मतदान की तिथियां

पहले चरण के लिए मतदान 18 सितंबर को होगा, जबकि दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर और अंतिम चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। तीनों चरणों के लिए राजपत्र अधिसूचना की तिथियां क्रमशः 20 अगस्त, 29 अगस्त और 9 सितंबर होंगी। नामांकन की अंतिम तिथियां 27 अगस्त, 5 सितंबर और 12 सितंबर निर्धारित की गई हैं।

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चुनाव आयोग की जम्मू-कश्मीर यात्रा

चुनाव आयोग के प्रमुख राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न पक्षकारों से परामर्श किया और चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया। राजीव कुमार ने कहा- “हमने लोकसभा चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर में लोगों की लंबी कतारें देखीं, जो दिखाता है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं।”

चुनाव के लिए व्यापक तैयारी

जम्मू-कश्मीर में कुल 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है। कुल मतदान केंद्रों की संख्या 11,800 से अधिक होगी। इनमें से 3.71 लाख पहली बार के मतदाता हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, औसतन प्रत्येक मतदान केंद्र पर 735 मतदाता होंगे। कुल 90 विधानसभा सीटों में से 74 सामान्य वर्ग के लिए, 9 अनुसूचित जनजातियों के लिए और 7 अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित की गई हैं।

चुनावों का महत्व और चुनौतियाँ

जम्मू-कश्मीर में जून 2018 से कोई निर्वाचित सरकार नहीं है, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) से गठबंधन तोड़ लिया था, जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 28 नवंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया।

इस बार के चुनावों को लेकर जनता और सुरक्षा बलों के बीच उत्साह और सतर्कता दोनों देखी जा रही है, क्योंकि क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि भी चिंता का विषय बनी हुई है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि वे चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और किसी भी आंतरिक या बाहरी हस्तक्षेप को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतारने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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