हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि राज्य के 2 लाख कर्मचारियों (Himachal government employee salaries) और 1.5 लाख पेंशनधारकों को 1 सितंबर को उनकी तनख्वाह और पेंशन नहीं मिली। राज्य में चल रहे आर्थिक संकट (Himachal Pradesh financial crisis) के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने घोषणा की थी कि उनके कैबिनेट मंत्रियों को अगले दो महीने तक वेतन नहीं मिलेगा। हिमाचल प्रदेश पर इस समय लगभग 94,000 करोड़ रुपये का भारी कर्ज (Himachal Pradesh debt crisis) है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति अत्यधिक कमजोर हो गई है। राज्य सरकार को कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं, जिसके चलते कर्मचारियों और पेंशनधारकों को वेतन मिलने में देरी हो रही है।
कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव-Himachal economic emergency
हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त कर्मचारी संघ के संयुक्त सचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा कि इस वित्तीय संकट का सबसे अधिक प्रभाव सरकारी कर्मचारियों पर पड़ रहा है। वर्मा ने कहा- “हम अपनी तनख्वाह के लिए महीने के अंत तक इंतजार करते हैं। अगर वित्तीय संकट है तो सरकार को इस समस्या का समाधान करना चाहिए। जब वार्षिक बजट बनता है तो पेंशन, वेतन, चिकित्सा सब कुछ शामिल होता है। क्या सरकार इस पैसे को कहीं और डायवर्ट कर रही है?” वर्मा ने इस मुद्दे की जांच करने और समस्या के स्रोत का पता लगाने की मांग की।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और आर्थिक आपातकाल (Himachal economic emergency) की स्थिति
भाजपा ने मौजूदा कांग्रेस सरकार को इस संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जबकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने पूर्व भाजपा सरकार पर राज्य की अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया है। सुक्खू ने कहा कि पिछली सरकार ने उन लोगों को भी मुफ्त बिजली और पानी दिया, जिन्हें इसकी जरूरत नहीं थी, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसे “आर्थिक आपातकाल” की स्थिति करार दिया और कहा कि आज भी कर्मचारियों को उनकी तनख्वाह और पेंशन नहीं मिली है। उन्होंने ट्वीट किया- “सरकार को इस बदलाव की आवश्यकता पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि लोग समय पर वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी सुविधाएं प्राप्त कर सकें।”