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हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाती हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के प्रति हमारा प्रेम और सम्मान भी दर्शाता है। हरियाली तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में हरियाली तीज, बुधवार 07 अगस्त को मनाई जाएगी। इस वर्ष 2024 में सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 06 अगस्त को शाम 07 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 07 जुलाई 2024 को रात 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार हरियाली तीज 07 जुलाई को मनाई जाएगी ।
शिव योग का होगा उदय : हरियाली तीज के दिन सुबह 11 बजकर 41 मिनट से लेकर अगले दिन तक शिव योग का निर्माण होगा।आइए, इस पर्व की महत्ता और इसके मनाने के कारणों को विस्तार से समझें।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का प्रमुख उद्देश्य पारंपरिक और धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ प्रकृति के संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि सैकड़ों वर्ष तपस्या करके इसी दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था । उनकी इस तपस्या और प्रेम की गाथा को सम्मान देने के लिए हरियाली तीज मनाई जाती है।
हरियाली तीज की तैयारियाँ
हरियाली तीज के लिए महिलाएं विशेष तैयारियाँ करती हैं। इस दिन महिलाएं नए वस्त्र, विशेष रूप से हरे रंग के कपड़े पहनती हैं जो हरियाली का प्रतीक है। महिलाये इस दिन पारंपरिक गहने धारण करती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाओं को हाथ में मेहंदी और पैर में लाल रंग का आलता जरूर लगाना चाहिए। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पेड़ों पर झूले डाले जाते हैं और महिलाएं उन पर झूलती हैं। झूलते समय वे पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं, जिससे वातावरण में खुशियों की लहर दौड़ जाती है।
हरियाली तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है। जिन विवाहिता महिलाओं का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है और सास-बहू के बीच अनबन हो तो इस दिन बहुओं को अपने सास को हरे रंग की चूड़ियां और कपड़े को हरी टोकरी में रखकर उपहार स्वरूप उन्हें देना चाहिए. ये उपहार देने के बाद सास का पैर छूकर आशीर्वाद जरूर लें। इससे आपके वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में सुख का योग बनेगा।
पूजा विधि और कथा
हरियाली तीज के दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों या चित्रों की पूजा करती हैं। पूजा के लिए महिलाएं तुलसी, बेलपत्र, अक्षत, फल, फूल और मिठाइयों का उपयोग करती हैं। शिव-पार्वती की पूजा के दौरान उन्हें 16 श्रृंगार का सामान जरूर अर्पित करें। पूजा के बाद कथा का पाठ किया जाता है जिसमें माता पार्वती और भगवान शिव की गाथा सुनाई जाती है। इस कथा को सुनने से महिलाओं को वैवाहिक सुख, संतान सुख और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है।
हरियाली तीज और पर्यावरण
हरियाली तीज का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह हमें प्रकृति के महत्व और उसके संरक्षण की याद दिलाता है। इस दिन महिलाएं पेड़ों पर झूला डालकर झूलती हैं और प्रकृति के साथ अपने संबंध को मजबूत करती हैं। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। हरियाली तीज के माध्यम से हम यह संकल्प लेते हैं कि हम अपने पर्यावरण को हरा-भरा बनाए रखेंगे और पेड़-पौधों की रक्षा करेंगे।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
हरियाली तीज केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव भी है। इस दिन महिलाएं एकत्रित होती हैं, एक-दूसरे के साथ अपने सुख-दुख बांटती हैं और सामूहिक गतिविधियों में भाग लेती हैं। यह पर्व महिलाओं के बीच आपसी प्रेम, सहयोग और एकता को बढ़ावा देता है। हरियाली तीज के माध्यम से हम अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं और आने वाली पीढ़ियों को उनका महत्व सिखाते हैं।
हरियाली तीज एक ऐसा पर्व है जो हमें हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मूल्यों की याद दिलाता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हम अपने परिवार और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए प्रकृति की रक्षा के लिए भी तत्पर रहें। हरियाली तीज का उल्लास और उसकी पवित्रता हमारे जीवन को नई ऊर्जा और प्रेरणा से भर देती है। इस पर्व को मनाकर हम न केवल अपने धर्म और संस्कृति का पालन करते हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों को भी निभाते हैं।