IIT DELHI-आईआईटी दिल्ली को शोध अनुदानों पर जीएसटी विभाग ने भेजा 120 करोड़ रुपये का शो-कॉज़ नोटिस

GST department sends show-cause notice of Rs 120 crore to IIT Delhi on research grants

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली को 2017 से 2022 के बीच प्राप्त शोध अनुदानों पर 120 करोड़ रुपये का जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) चुकाने का नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस जीएसटी खुफिया निदेशालय (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस) द्वारा जारी किया गया है, जिसमें ब्याज और जुर्माने के साथ कुल 120 करोड़ रुपये की मांग की गई है। इस मामले पर अभी तक आईआईटी दिल्ली की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस नोटिस को ‘अफसोसजनक’ करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा वित्त पोषित शोध पर जीएसटी नहीं लगाना चाहिए, और वे इस मामले को कानूनी तौर पर चुनौती देने की योजना बना रहे हैं।

शोध पर जीएसटी: सरकार की प्रतिक्रिया

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संकेत दिया है कि इस नोटिस का जवाब तैयार किया जा रहा है। उनके अनुसार इस मुद्दे की जड़ में शायद कोई गलतफहमी हो सकती है क्योंकि उनका मानना है कि सरकार द्वारा वित्त पोषित शोध पर जीएसटी लागू नहीं होना चाहिए। अधिकारी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के नोटिस शोध कार्यों को हतोत्साहित करते हैं और इन्हें कर योग्य इकाई के रूप में देखना गलत है। यह भी कहा गया है कि शोध को बढ़ावा देना और समर्थन देना चाहिए, न कि उस पर टैक्स लगाकर उसे कठिन बनाना चाहिए।

शोध अनुदानों पर जीएसटी के दायरे में लाने की कोशिश

ऐसा बताया जा रहा है कि जीएसटी अधिकारियों ने हाल ही में देश के विभिन्न प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों जैसे प्रमुख आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य और निजी विश्वविद्यालयों को भी ऐसे ही नोटिस जारी किए हैं। इन नोटिसों में आमतौर पर सवाल उठाया गया है कि क्या वर्तमान में जीएसटी से मुक्त शोध अनुदानों को वास्तव में जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।

शोध और शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव

एक पूर्व आईआईटी प्रमुख ने चिंता व्यक्त की है कि जीएसटी, जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) पोर्टल, ग्लोबल टेंडर इंक्वायरी (जीटीई), सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) और शासन प्रथाएं संस्थानों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। उनका कहना है कि जबकि फंडिंग में वृद्धि नहीं हो रही है और पर्याप्त ओवरहेड नहीं दिए जा रहे हैं, जीएसटी के माध्यम से पैसा प्रभावी रूप से वापस लिया जा रहा है।

एक निजी डीम्ड विश्वविद्यालय के प्रमुख, जिन्होंने इसी तरह का नोटिस प्राप्त किया है, उन्होने कहा कि शोध अनुदानों पर जीएसटी लगाना भारतीय उच्च शिक्षा की प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। वित्त मंत्रालय ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया है कि अनुदान का एक बड़ा हिस्सा परिसंपत्तियों और उपभोग्य वस्तुओं की खरीद पर जाता है, जो पहले से ही कर के अधीन हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि शैक्षिक संस्थानों को कर राजस्व स्रोत के रूप में देखना केवल शिक्षा की लागत को बढ़ाएगा।

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