भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने पेरिस 2024 ओलंपिक से बाहर होने के बाद गुरुवार को अपने संन्यास की घोषणा की। विनेश ने मंगलवार को इतिहास रचते हुए ओलंपिक कुश्ती के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनकर सभी का दिल जीत लिया था। उन्होंने 50 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में क्यूबा की युसनेयलिस गुज़मैन लोपेज़ को 5-0 से हराकर फाइनल में अपनी जगह बनाई थी।
निराशाजनक अयोग्यता और संन्यास की घोषणा
गुरुवार सुबह विनेश ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर एक भावुक संदेश में अपने संन्यास की घोषणा की। पेरिस ओलंपिक के 50 किग्रा फ्रीस्टाइल फाइनल से 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण अयोग्य ठहराए जाने के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया। विनीश ने लिखा- “माँ कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई,
माफ़ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके, इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही अब।”
अलविदा कुश्ती 2001-2024 🙏
आप सबकी हमेशा ऋणी रहूँगी माफी।”
भावनात्मक संदेश और धन्यवाद
29 वर्षीय विनेश ने अपने संदेश में अपनी गहरी उदासी और कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने लिखा- “माँ कुश्ती जीत गई, मैं हार गई।” उन्होंने अपने प्रशंसकों से माफी मांगते हुए और अपने समर्थकों के प्रति अपनी अनंत कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा- “आप सभी का धन्यवाद, जो भी मेरे साथ थे।” विनीश का यह संन्यास उनके 2001 में शुरू हुए शानदार करियर का समापन है।
अदालत में अपील और संयुक्त रजत पदक की मांग
विनेश फोगाट, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में वजन कटौती में 100 ग्राम की कमी के कारण अयोग्य घोषित होने के बाद बुधवार को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की है। उन्होंने संयुक्त रजत पदक की मांग की है। CAS को गुरुवार तक अपना अंतिम निर्णय देना है। यदि निर्णय विनेश के पक्ष में होता है तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) को उन्हें संयुक्त रजत पदक प्रदान करना होगा।
भारतीय कुश्ती में योगदान
विनेश फोगाट ने अपने करियर में भारतीय कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनके संन्यास से भारतीय कुश्ती को एक बड़ा झटका लगा है। विनीश ने अपने करियर में कई पदक जीते हैं और कई रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्होंने अपने खेल और संघर्ष से न केवल देश का नाम रोशन किया है, बल्कि लाखों युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा भी बनी हैं।
विनेश फोगाट का यह संन्यास भारतीय कुश्ती जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनके करियर की यात्रा संघर्ष, जीत और प्रेरणा से भरी रही है। अब उनके प्रशंसक और समर्थक उनके भविष्य के कदमों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनके संन्यास के बाद भी विनेश का योगदान और उनकी उपलब्धियां हमेशा याद की जाएंगी और वे भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज रहेंगी।