गंगा दशहरा की तिथि और शुभ मुहूर्त- Ganga Dussehra Timings
गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि सामान्यतः मई या जून माह में पड़ती है। 2024 में गंगा दशहरा 16 जून को पड़ेगा। इसे गंगावतरण (gangavataran) के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘गंगा का अवतरण’। इस साल गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी एक ही दिन मनाए जाएंगे।
गंगा दशहरा 2024 की तिथि: रविवार, 16 जून, 2024
दशमी तिथि प्रारंभ: 15 जून 2024 को शाम 05:02 बजे
दशमी तिथि समाप्त: 16 जून 2024 को शाम 07:13 बजे
हस्त नक्षत्र प्रारंभ: 14 जून 2024 को रात 10:44 बजे
हस्त नक्षत्र समाप्त: 16 जून 2024 को सुबह 01:43 बजे
व्यातिपात योग प्रारंभ: 14 जून 2024 को सुबह 09:38 बजे
व्यातिपात योग समाप्त: 15 जून 2024 को सुबह 10:41 बजे
महोत्सव के पीछे की कथा-
गंगा दशहरा देवी गंगा को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि इसी दिन गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। गंगा का अवतरण भगीरथ के पूर्वजों के श्राप से मुक्त करने के लिए हुआ था। भगवान ब्रह्मा के कमंडल में निवास करने के बाद गंगा , पृथ्वी पर स्वर्ग की पवित्रता लाई। भगीरथ के महान तप के फलस्वरूप, गंगा पृथ्वी पर आईं और जीवनदायिनी नदी बन गईं।
महत्वपूर्ण स्थान और आयोजन-
गंगा दशहरा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां गंगा नदी बहती है। हरिद्वार, वाराणसी, ऋषिकेश, प्रयागराज और पटना प्रमुख स्थान हैं जहां लोग गंगा की आरती करते हैं। इस दिन गंगा नदी में दीप दान करके शांति और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
गंगा दशहरा का महत्व–
गंगा दशहरा दस शुभ वैदिक गणनाओं का प्रतीक है जो गंगा की शक्ति को दर्शाती हैं। इन गणनाओं में ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, गुरुवार, हस्त नक्षत्र, सिद्ध योग, गर-अनंद योग और चंद्रमा का कन्या राशि में होना शामिल है। इस दिन गंगा स्त्रोत का पाठ करने और गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है।
विशेष पूजा और अनुष्ठान-
इस दिन अधिकतर भक्त प्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में स्नान और ध्यान करते हैं। पितृ पूजा का आयोजन भी होता है। भक्त गंगा की आरती करते हैं और गंगा में दस बार डुबकी लगाते हैं। इस दिन दस प्रकार के फूल, फल और पान के पत्ते चढ़ाने का विशेष महत्व है।
यमुना की पूजा-
गंगा दशहरा के दिन यमुना नदी की भी पूजा की जाती है। मथुरा, वृंदावन और बटेश्वर में भक्त यमुना में स्नान करते हैं और तरबूज और खीरे का प्रसाद चढ़ाते हैं। इस दिन पतंगबाजी और लस्सी, शरबत और शिकंजी का वितरण भी होता है।