गब्बर के आतंक से अब गेंदबाजों को मुक्ति : संघर्ष से लेकर सफलता तक, शिखर धवन के 14 साल

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शिखर धवन ने 2010 में भारत के लिए डेब्यू किया, लेकिन उनकी शुरुआत किसी परी कथा जैसी नहीं थी। पहले ही मैच में शून्य पर आउट होने वाले धवन ने इसके बाद जो किया, वह वाकई अद्भुत था। 2013 में मोहाली में खेले गए अपने पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 85 गेंदों पर सबसे तेज शतक जड़ते हुए धवन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आगमन का जोरदार ऐलान किया। उन्होंने 187 रनों की पारी खेली, जिसमें 33 चौके और 2 छक्के शामिल थे। इस पारी ने उन्हें न सिर्फ एक स्टार बनाया बल्कि उन्हें भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अमर कर दिया।

वनडे में रोहित-कोहली के साथ धवन की तिकड़ी

वनडे क्रिकेट में धवन का योगदान भी अतुलनीय रहा है। 2013 के चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने रोहित शर्मा के साथ ओपनिंग करते हुए भारत को कई जीत दिलाईं। विशेषकर कार्डिफ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई 114 रनों की पारी ने साबित कर दिया कि धवन और रोहित की जोड़ी विपक्षी गेंदबाजों के लिए एक बड़ी चुनौती थी। धवन ने इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और भारत को चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वनडे क्रिकेट में रोहित और कोहली के साथ धवन की तिकड़ी ने भारतीय टीम को एक नया आयाम दिया।

विश्व कप और बड़े मौकों के खिलाड़ी

शिखर धवन हमेशा से बड़े मौकों के खिलाड़ी रहे हैं। 2015 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मेलबर्न में 137 रन की पारी हो या 2019 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 117 रन की पारी, धवन ने हमेशा अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ भारत को जीत दिलाने में मदद की। विशेष रूप से 2019 विश्व कप में, जहां उन्होंने टूटी अंगुली के बावजूद शतक लगाया, धवन ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और क्रिकेट के प्रति समर्पण का अद्वितीय उदाहरण पेश किया।

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