डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: मिसाइल मैन से भारत रत्न तक

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उनका राष्ट्रपति काल एक आदर्श नेतृत्व और सादगी का प्रतीक रहा। कलाम ने अपने राष्ट्रपति पद का उपयोग शिक्षा, विज्ञान और युवा सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए किया। उन्होंने ‘इंडिया 2020’ नामक विजन प्रस्तुत किया , जिसमें उन्होंने भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की कल्पना की।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्मे कलाम ने बचपन में ही संघर्ष और कठिनाइयों का सामना किया। उनके पिता जैनुलाबदीन एक नाविक थे और माता आशियम्मा गृहिणी थीं। बचपन में ही उन्हें शिक्षा का महत्व समझ आ गया था। प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम के स्थानीय स्कूल में प्राप्त करने के बाद उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) गए, जहां से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। कलाम का सपना था कि वे भारतीय वायुसेना में पायलट बनें, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी वैज्ञानिक यात्रा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

वैज्ञानिक करियर और योगदान

डॉ. कलाम का वैज्ञानिक करियर बेहद प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने 1960 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में अपना करियर शुरू किया और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों में से एक थे। कलाम ने SLV-III (सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) परियोजना का नेतृत्व किया, जिसने 1980 में रोहिणी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। इसके बाद वे ‘मिसाइल मैन’ के रूप में प्रसिद्ध हुए जब उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भारत को एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

राष्ट्रपति पद और सामाजिक सेवा

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उनका राष्ट्रपति काल एक आदर्श नेतृत्व और सादगी का प्रतीक रहा। कलाम ने अपने राष्ट्रपति पद का उपयोग शिक्षा, विज्ञान और युवा सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए किया। उन्होंने ‘इंडिया 2020’ नामक विजन प्रस्तुत किया , जिसमें उन्होंने भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की कल्पना की। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद भी उन्होंने अपनी ऊर्जा और ज्ञान को युवाओं के साथ साझा करने में लगा दिया। वे लगातार विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में व्याख्यान देते रहे और छात्रों को प्रेरित करते रहे। उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की, जिनमें ‘विंग्स ऑफ फायर’, ‘इग्नाइटेड माइंड्स’ और ‘माय जर्नी’ प्रमुख हैं। इन पुस्तकों में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और विचारों को साझा किया।

व्यक्तित्व और विरासत

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व अत्यंत विनम्र और प्रेरणादायक था। वे सरलता, सादगी और समर्पण के प्रतीक थे। उन्होंने न केवल वैज्ञानिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचार और कार्य हमेशा से युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। 27 जुलाई 2015 को शिलॉंग में एक व्याख्यान के दौरान हृदयघात से उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके सम्मान में 2010 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। डॉ. कलाम का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर हमारे पास एक स्पष्ट दृष्टि और दृढ़ संकल्प हो तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि सच्ची सफलता वही है जो दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती है।

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