चौरासी बाबा आश्रम की 500 करोड़ की संपत्ति को लेकर विवाद, ग्रामीणों का भाजपा नेता और अधिकारियों पर आरोप

Dispute over sultanpur Chaurasi Baba Ashram property worth Rs 500 crore, villagers accuse BJP leader and officials

चौरासी बाबा आश्रम image credit-https://www.facebook.com/pages/Chaurasi%20Baba%20Ashram/187942608430228/

सुल्तानपुर के जयसिंहपुर स्थित संत चौरासी बाबा आश्रम की कई प्रदेशों में फैली 500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने आश्रम की संपत्ति को हड़पने के आरोप में एक भाजपा नेता समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि बाबा की अस्वस्थता का फायदा उठाकर नया ट्रस्ट बनवाने की साजिश रची जा रही है। बुधवार को कथित रूप से बाबा से जबरन नया ट्रस्ट बनवाए जाने के बाद गुरुवार को ग्रामीण बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंच गए और इसका विरोध किया।

नया ट्रस्ट बनाने पर ग्रामीणों का विरोध और प्रशासन पर आरोप

चौरासी बाबा आश्रम की संपत्ति को लेकर पहले से ही चल रहे विवाद के बीच बुधवार को महंत दत्तात्रेय चौरासी बाबा के जयसिंहपुर तहसील में अचानक पहुंचने पर ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि एसडीएम और सीओ जयसिंहपुर ने इस प्रक्रिया में पक्षपात किया और नया ट्रस्ट बनवाने में उनकी मिलीभगत है। ग्रामीणों ने डीएम को संबोधित ज्ञापन एसडीएम सदर को सौंपकर ट्रस्ट को सरकारी नियंत्रण में लेने की मांग की।

नए ट्रस्ट के गठन से ग्रामीणों में आक्रोश

बुधवार को नए ट्रस्ट के गठन के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। जानकारी मिली कि नए ट्रस्ट में एक भाजपा नेता, कुछ अन्य लोगों के साथ तहसीलदार को रिसीवर और पुलिस क्षेत्राधिकारी को पदेन सदस्य बनाया गया है। इस पर ग्रामीणों ने बाबा की मानसिक स्थिति ठीक न होने का हवाला देकर आश्रम की संपत्ति हड़पने की साजिश का आरोप लगाया। इस पूरे प्रकरण के कारण ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने आश्रम की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की।

आठ माह बाद फिर से उठा नया ट्रस्ट विवाद

चौरासी बाबा आश्रम के विवाद की जड़ें आठ माह पहले की घटना से जुड़ी हैं। बेलहरी स्थित यह आश्रम आस्था का प्रमुख केंद्र है और इसकी संपत्ति कई प्रदेशों में फैली हुई है। पिछले कुछ वर्षों से बाबा अस्वस्थ चल रहे थे, जिसका फायदा उठाकर दो लोगों ने उनकी कुछ संपत्ति का बैनामा करा लिया था। इसके बाद एक नया ट्रस्ट बनाकर बाकी संपत्ति ट्रस्ट के नाम कर दी गई थी। विवाद बढ़ने पर 21 अक्तूबर को संपत्ति बाबा के नाम वापस कर दी गई थी। लेकिन अब आठ माह बाद फिर से नया ट्रस्ट बनवाए जाने को लेकर यह विवाद तूल पकड़ गया है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: मामले की जानकारी नहीं

एसडीएम संतोष कुमार ओझा और सीओ प्रशांत सिंह ने कहा कि उन्हें इस प्रकरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि उप निबंधक की सूचना पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वे मौके पर पहुंचे थे और ग्रामीणों को शांत कराने की कोशिश की। प्रशासन ने ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए आश्रम की सुरक्षा बढ़ा दी है और इस मामले में आवश्यक जांच और कार्रवाई की जा रही है।

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