3 सितंबर, मंगलवार को कर्नाटक सरकार (Karnataka government) ने राज्य में बढ़ते मामलों को देखते हुए डेंगू बुखार (dengue fever) को महामारी घोषित कर दिया। सरकारी गजट अधिसूचना के अनुसार डेंगू बुखार को एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब तक कर्नाटक में 25,408 डेंगू मामले (dengue cases) दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 12 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बेंगलुरु है, जहां 11,590 मामलों (Bengaluru dengue patients) और 3 मौतों की सूचना है, इसके बाद मंड्या (872), हसन (835), मैसूर (820) और कलबुर्गी (793) हैं।
राज्य द्वारा लगाए गए जुर्माने
डेंगू के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। अधिसूचना के तहत उन घर मालिकों पर जो अपने परिसरों में मच्छर प्रजनन की अनुमति देते हैं, शहरी क्षेत्रों में 400 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, रेस्तरां, छोटी दुकानों और विक्रेताओं पर, जो स्वास्थ्य मानकों का उल्लंघन करते हैं, शहरी क्षेत्रों में 1,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 500 रुपये का जुर्माना लगेगा। यदि उल्लंघनकर्ता निर्देशों का पालन नहीं करते तो प्रत्येक सप्ताह के लिए 50% अधिक जुर्माना भी लगेगा।
डेंगू के बढ़ते मामलों के कारण- Karnataka dengue cases
कर्नाटक में डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के आंकड़ों के अनुसार यह राज्य में अब तक देखी गई सबसे बड़ी वृद्धि नहीं है। कर्नाटक में डेंगू के मामलों में वृद्धि के पीछे कई पारिस्थितिकीय कारण हैं, जिनमें अनियोजित विकास, जल संचयन में अनियमितता, प्रवास और ठोस कचरे का खराब प्रबंधन शामिल हैं। मच्छरों की प्रजाति एडीज एजिप्टी ताजे पानी में प्रजनन करती है और दिन के समय काटती है। कर्नाटक का गर्म और आर्द्र मौसम, विशेष रूप से मानसून के दौरान और बाद में, मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थिति बनाता है और डेंगू के प्रसार का जोखिम बढ़ा देता है।
सरकार के कदम और आलोचना
राज्य सरकार ने डेंगू से निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। बेंगलुरु में आरोग्य सौधा में एक केंद्रीय वॉर रूम स्थापित करने के साथ-साथ सभी जिलों में नियंत्रण कक्षों की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक जिले में एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता उप आयुक्त करेंगे। स्वास्थ्य अधिकारियों और स्वयंसेवकों की सहायता से मच्छरों के प्रजनन स्थलों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए द्वि-साप्ताहिक निरीक्षण की योजना बनाई गई है। अस्पतालों को डेंगू मरीजों के लिए बेड आरक्षित करने और परीक्षण किट, महत्वपूर्ण दवाएं और रक्त के घटकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद राज्य में डेंगू के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सरकार को अपनी खराब प्रबंधन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। राज्य सरकार पर आरोप लगाया गया है कि उसने डेंगू के प्रकोप को सही ढंग से संभालने में असफलता दिखाई है। सरकार को अब अपनी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की बजाय इस गंभीर स्थिति का समझदारी से प्रबंधन करना होगा, जिससे महामारी को समाप्त किया जा सके।