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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने रविवार को ऐलान किया कि पार्टी उत्तर प्रदेश की उन सभी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी, जो हाल ही में खाली हुई हैं। यह घोषणा उन्होंने लखनऊ में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद की।
उपचुनावों में बसपा की पूरी ताकत से लड़ने की तैयारी
मायावती ने कहा- “उत्तर प्रदेश में जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनकी तारीख अभी आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुई है, लेकिन चुनावों को लेकर उत्साह लगातार बढ़ रहा है। भाजपा और उसकी सरकार ने इन चुनावों को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया है, जिससे लोगों की दिलचस्पी इन उपचुनावों में काफी बढ़ गई है। बसपा ने भी इन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने और पूरी ताकत से लड़ने का निर्णय लिया है।”
10 सीटों पर होने हैं उपचुनाव, बसपा के पास विधानसभा में मात्र एक सदस्य
उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, क्योंकि नौ सीटों के विधायक सांसद बन गए हैं, जबकि एक सीट एक मौजूदा सदस्य के दोषसिद्धि के बाद खाली हो गई है। इन सीटों में सीसामऊ, कटहरी, कुंदरकी, मिल्कीपुर और करहल शामिल हैं जो 2022 में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीती थीं, जबकि खैर, फूलपुर और गाजियाबाद पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी हुए थे। शेष दो सीटें मंजवा और मीरापुर थीं, जो क्रमशः निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवारों ने जीती थीं।
गौरतलब है कि बसपा सामान्यतः उपचुनावों से दूरी बनाए रखती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने कभी-कभी इन चुनावों में हिस्सा लेना शुरू किया है। इस समय पार्टी के पास यूपी विधानसभा में केवल एक ही सदस्य है।
भाजपा सरकार पर बढ़ता असंतोष
बैठक में बसपा प्रमुख ने पार्टी नेताओं से कहा कि भाजपा सरकार के रोजगार और महंगाई को नियंत्रित करने में विफल रहने के कारण जनता में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए ‘बुलडोजर राजनीति’ में लगी हुई है। मायावती ने यह भी कहा कि नया धर्मांतरण विरोधी कानून या ‘एससी-एसटी समुदाय का उप-वर्गीकरण’ जैसे कदम भाजपा सरकार के अन्य चालों में से हैं।
नजूल भूमि पर हड़बड़ी में लिए गए फैसले से राज्य में अराजकता का माहौल
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने नजूल भूमि के संबंध में जल्दबाजी में लिए गए फैसले से पूरे राज्य में अराजकता का माहौल बना दिया है। लेकिन सरकारी भूमि को पट्टे पर देने के मामले में पक्षपात सामने आ रहा है, जिससे भाजपा के भीतर भी असंतोष और विरोध की स्थिति बन रही है।
नजूल भूमि वह सरकारी भूमि होती है, जिसे औपनिवेशिक काल में सार्वजनिक उपयोग, प्रशासनिक कार्यों या विस्थापित व्यक्तियों को बसाने के लिए अधिग्रहित किया गया था। हाल ही में यूपी विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया है, जो नजूल भूमि को निजी फ्रीहोल्ड में बदलने की अनुमति नहीं देता।
आरक्षण के खिलाफ साजिश पर नजर रखने की अपील
मायावती ने कहा कि ‘अंबेडकरवादी बसपा ही दलितों और बहुजनों की सच्ची हितैषी है’ और यह भी दावा किया कि आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। एससी-एसटी समुदायों के उप-वर्गीकरण के कथित कदम को ‘अनुचित’ बताते हुए मायावती ने कहा कि बसपा का उद्देश्य एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को एकजुट करना है ताकि वे अपनी प्रगति और समृद्धि के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें।
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मायावती ने पार्टी नेताओं से सतर्क रहने और ‘आरक्षण के खिलाफ गहरी साजिश’ के प्रति सचेत रहने की अपील की। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने आरक्षण का श्रेय ‘नेहरू और गांधी’ को दिया, जबकि यह अंबेडकर की देन है। मायावती ने दावा किया कि एससी-एसटी श्रेणियों के उप-वर्गीकरण पर कांग्रेस अध्यक्ष का एनजीओ और वकीलों से सलाह लेने के बाद अपने पार्टी का रुख स्पष्ट करने का बयान इस बात का सबूत है कि कांग्रेस उप-वर्गीकरण के पक्ष में है।
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