जहानाबाद जिले के मखदूमपुर स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर में सोमवार को हुए एक भगदड़ में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई, जबकि नौ अन्य लोग घायल हो गए। यह हादसा सावन के चौथे सोमवार को भारी भीड़ के कारण हुआ। जिला मजिस्ट्रेट अलंकृता पांडे ने बताया कि अब स्थिति नियंत्रण में है और प्रशासन हर पहलू पर नजर बनाए हुए है।
हादसे का कारण और स्थिति की जानकारी
मखदूमपुर ब्लॉक के वनावार पहाड़ी पर स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर में यह हादसा तब हुआ जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में जमा हुए थे। अलंकृता पांडे ने बताया कि- “भगदड़ में सात लोगों की मौत हुई है और नौ लोग घायल हुए हैं। हम हर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और अब स्थिति नियंत्रण में है।”
घायलों को तत्काल मखदूमपुर और जहानाबाद के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। घटना के बाद जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। जहानाबाद के थाना प्रभारी दिवाकर कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि- “डीएम और एसपी ने मौके का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। अब तक कुल सात लोगों की मौत हो चुकी है। हम मृतकों के परिवारों से संपर्क कर रहे हैं और शवों की पहचान के बाद उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाएगा।”
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान और प्रशासनिक चूक
घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी मनोज ने बताया कि भगदड़ से पहले मंदिर परिसर में एक बवाल हुआ था। मनोज के अनुसार- “अगर प्रशासन ने सही ढंग से काम किया होता, तो फूल बेचने वाला झगड़ा नहीं करता। हमारे सामने ही झगड़ा हुआ। हममें से कई लोग वहां फंस गए थे। किसी ने मुझे वहां से बाहर निकाला। अगर मैं एक या दो मिनट और वहां फंसा रहता, तो मैं मर जाता। यह घटना भगदड़ के कारण हुई। घटना स्थल पर पुलिस नहीं थी, वे रास्ते में तैनात थे… मैंने भी चोटें खाई हैं।”
यह घटना उत्तर प्रदेश के हाथरस में धार्मिक आयोजन के दौरान हुई भगदड़ के कुछ हफ्ते बाद ही हुई है, जिसमें 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। हाथरस में भीड़ के अनुमानों से अधिक श्रद्धालु आने के कारण यह त्रासदी हुई थी।
बाबा सिद्धनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
बाबा सिद्धनाथ मंदिर, जिसे सिद्धेश्वर नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, वनावार पहाड़ियों की श्रृंखला के सबसे ऊंचे शिखरों में से एक पर स्थित है। यह मंदिर गुप्त काल के दौरान 7वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण बाना राजा द्वारा किया गया था, जो राजगीर के प्रसिद्ध राजा जरासंध के ससुर थे।
इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व इसे श्रद्धालुओं के बीच विशेष बनाता है। सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं, जिससे मंदिर परिसर में भीड़ बढ़ जाती है। प्रशासन को हर साल सावन के महीने में यहां भारी भीड़ की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम करने की आवश्यकता होती है।