अयोध्या में लाइट चोरी विवाद: 3,800 बांस की लाइटें और 36 गोबो प्रोजेक्टर गायब, प्रशासन जांच में जुटा

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अयोध्या के राम पथ और भक्ति पथ से करीब 3800 बांस की लाइटें और 36 ‘गोबो प्रोजेक्टर’ लाइटों के गायब होने का मामला सामने आया है। इस आरोप के बाद शहर में हड़कंप मच गया है। लाइटों की स्थापना का ठेका लेने वाले ठेकेदार शेखर शर्मा ने यह दावा किया कि उनकी कंपनी ने राम मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए दोनों पथों पर 6400 बांस की लाइटें और 96 गोबो प्रोजेक्टर लाइटें लगाई थीं। शर्मा का कहना है कि मई महीने में की गई एक निरीक्षण के दौरान उन्हें आधे से ज्यादा लाइटें गायब मिलीं। इस घटना की शिकायत उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस की ई-ऐप के माध्यम से दर्ज कराई है।

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प्रशासन का इनकार और जांच की घोषणा

हालांकि अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि यह दावा कि ₹50 लाख की लाइटें चोरी हुई हैं, गलत है। उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है कि इतनी बड़ी संख्या में लाइटें चोरी हो सकें क्योंकि अयोध्या शहर 24 घंटे पुलिस सुरक्षा में रहता है। उन्होंने कहा- “अयोध्या एक अत्यधिक सुरक्षित क्षेत्र है और यहां साल के 365 दिन पुलिस गश्त होती है। इतने बड़े पैमाने पर लाइटों की चोरी कैसे संभव हो सकती है, जब इन्हें लगाने में घंटों का समय लगा था?” दयाल ने यह भी कहा कि लाइटों की देखरेख का जिम्मा ठेकेदार का है और अगर चोरी हुई भी है तो इसकी जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी। इसके बावजूद उन्होंने इस मामले की पूरी तरह से जांच कराने का आश्वासन दिया।

राजनैतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद

लाइट चोरी के इस विवाद पर राजनीति भी गर्मा गई है। बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव सुखमिंदरपाल सिंह ग्रेवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस घटना को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की और इसे उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को बदनाम करने की साजिश बताया। ग्रेवाल ने लिखा- “यह हमारे दुश्मनों का प्रयास है जो हमारी यूपी सरकार और केंद्रीय सरकार को बदनाम करना चाहते हैं और हमारे हिंदू समाज को भड़काना चाहते हैं।”


वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सोशल मीडिया पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा- “यूपी-अयोध्या में चोरों ने कानून-व्यवस्था की हालत खराब कर दी है। इसलिए लोग पहले से कह रहे थे कि खंभा तो खड़ा है पर बिजली नहीं है। बीजेपी सरकार का मतलब है ‘अंधेर नगरी’।”


इस प्रकार लाइट चोरी का यह मामला न केवल प्रशासनिक जांच के केंद्र में है, बल्कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का भी विषय बन गया है।

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