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प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा पर नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द ही करवाने की घोषणा और निकट भविष्य में राज्य का दर्जा बहाल करने की योजना ने केंद्र शासित प्रदेश में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। अधिकांश राजनीतिक दलों ने इस घोषणा का स्वागत किया है, हालांकि कुछ दलों ने प्रधानमंत्री से समय सीमा बताने की मांग की है ताकि अस्पष्टता समाप्त हो सके।
सर्वोच्च न्यायालय की समय सीमा
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही केंद्र और भारत निर्वाचन आयोग को जम्मू-कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की चुनाव और राज्य का दर्जा बहाल करने की घोषणा का स्वागत है, लेकिन वास्तविक तिथियों पर अभी भी अस्पष्टता बनी हुई है। उन्होंने कहा, “अच्छा है कि प्रधानमंत्री ने भी यह महसूस किया कि राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलना लोगों द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री अभी भी चुनाव और राज्य के दर्जे की बहाली के लिए सटीक तिथि नहीं दे रहे हैं, हालांकि केंद्र सरकार ने दिन से ही कहा है कि दोनों विधानसभा चुनाव होंगे और राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का रुख
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने इसे प्रधानमंत्री मोदी का एक और जुमला बताया है। पीडीपी युवा उपाध्यक्ष आदित्य गुप्ता ने कहा, “पिछले 5 वर्षों से हम यही जुमला सुन रहे हैं। मोदी द्वारा चुनाव और राज्य का दर्जा बहाल करना ऐसा ही है जैसे हर किसी के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा करना।”
अपनी पार्टी का स्वागत
अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि इस घोषणा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों में उम्मीद की लहर पैदा की है। उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर लिखा, “प्रधानमंत्री की घोषणा कि विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो गई है और जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा वापस मिलेगा, अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोग राज्य का दर्जा बहाल करने और अपने लोकतांत्रिक अधिकार को पुनः प्राप्त करने के वादे की पूर्ति की प्रतीक्षा कर रहे थे।”
गुलाम नबी आजाद की पार्टी की प्रतिक्रिया
पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की पार्टी ने चुनाव और राज्य के दर्जे पर प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत किया। डीपीएपी के मुख्य प्रवक्ता सलमान निजामी ने कहा, “हम जम्मू-कश्मीर में चुनाव और राज्य का दर्जा बहाल करने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान का स्वागत करते हैं। हाल ही में लोकसभा चुनावों में भागीदारी से पता चलता है कि लोग बदलाव के लिए उत्सुक हैं। यह लोगों की लंबे समय से चल रही इच्छा और मांग रही है। सरकार को शांति सुनिश्चित करनी चाहिए और नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चुनाव सुचारू रूप से कराने चाहिए।”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रवक्ता शेख आमिर ने कहा कि वे वर्षों से इन ऊंचे दावों को सुन रहे हैं। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। अगर प्रधानमंत्री गंभीर हैं, तो उन्हें अधिक व्यावहारिक होना चाहिए और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, निर्वाचन आयोग को विधानसभा चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करनी चाहिए।”
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। जहां कुछ दलों ने इस घोषणा का स्वागत किया है, वहीं कुछ दलों ने इस पर संदेह व्यक्त किया है और स्पष्ट समय सीमा की मांग की है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस दिशा में किस प्रकार आगे बढ़ती है और चुनावों की तिथियां कब निर्धारित होती हैं।