नई दिल्ली। हिन्दू पचांग में हर दिन खास होता है। सनातन धर्म और इससे निकली परंपरा को लोग अपनी जीवनशैली में समाहित कर एक खुशहाल जीवन की कल्पना करते हैं। अक्षय तृतीया दिन भी हिन्दू धर्म की मान्यता में बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसे आखा तीज भी कहा जाता है, यह दिन हिन्दू माह वैशाख के उज्ज्वल पक्ष की तीसरी चंद्रमा की तिथि पर आता है। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, जिसे लोग परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
“अक्षय” का अर्थ अनंत है, जबकि “तृतीया” का अर्थ तीसरा है। जैसा कि नाम सूचित करता है, इस दिन किसी भी शुभ कार्य या निवेश लोगों के जीवन में समृद्धि और भाग्य लाता है। अक्षय तृतीया के साथ इस दिन सबसे टिकाऊ परंपरा है सोना खरीदने का।
अक्षय तृतीया पूजा समय तालिका
यह त्योहार धन और समृद्धि लाने वाली देवी लक्ष्मी की पूजा में समर्पित है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई को मनाया जा रहा है। इसका शुभ समय या पूजा मुहूर्त सुबह 05:33 बजे से शुरू होगा और दोपहर 12:18 बजे तक चलेगा। सोना खरीदने के इच्छुक लोग 11 मई के 2:50 बजे तक खरीदारी कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर सोना क्यों खरीदा जाता है?
इस दिन कई पौराणिक और धार्मिक विश्वासों से जुड़ा है। उनमें से एक है अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना। लोग सोने के सिक्के, ज्वेलरी, या केवल कीमती धातु में निवेश करने के लिए ज्वेलरी की दुकानों पर भीड़ लगा लेते हैं।
लेकिन सोना क्यों?
सोना सिर्फ एक धातु नहीं है; यह धन और प्रचुरता का प्रतीक है। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से समृद्धि आती है और अपने जीवन में धन का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित होता है।
सांस्कृतिक परंपरा
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। यह भारतीय संस्कृति में गहरे रूप से बसा हुआ है। आज, कई लोग इसे केवल एक शुभ निवेश ही नहीं बल्कि वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करने और मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा के रूप में भी देखते हैं।