साईं बाबा विवाद: काशी के मंदिरों से प्रतिमा हटाने पर बढ़ी राजनीति, सपा ने बीजेपी पर साधा निशाना-Varanasi News

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वाराणसी के मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाओं को हटाए जाने के मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है। बीते कुछ दिनों में वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाई गईं, जिससे यह विवाद शुरू हुआ। सनातन रक्षक दल के नेतृत्व में इस मुहिम को अंजाम दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य काशी के पौराणिक मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाना बताया जा रहा है। वहीं, सपा के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने इस कदम को बीजेपी का राजनीतिक स्टंट करार दिया है और इसे महाराष्ट्र चुनाव से जोड़ते हुए बीजेपी पर तीखे प्रहार किए हैं।

सनातन रक्षक दल का विरोध: साईं नहीं, चांद मियां हैं

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा के अनुसार, साईं बाबा को हिन्दू मंदिरों में स्थापित करना सनातन धर्म के मूल्यों का उल्लंघन है। उनका कहना है कि साईं बाबा दरअसल चांद मियां थे, और उनके नाम से मूर्तियों की पूजा करना सनातन संस्कृति और परंपरा के खिलाफ है। बीते एक हफ्ते में वाराणसी के 12 प्रमुख मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटा दी गई हैं। इस कदम के पीछे अजय शर्मा ने तर्क दिया कि हिन्दू धर्मस्थलों में केवल वैदिक देवी-देवताओं की पूजा होनी चाहिए और किसी “फकीर” की प्रतिमा को भगवान का दर्जा देना उचित नहीं है।

अजय शर्मा ने क्या कहा?

अजय शर्मा का कहना है कि “काशी के पौराणिक मंदिरों में 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा होती है। ऐसे में गैर-हिन्दू साईं की प्रतिमा स्थापित करना महापाप है। हम मंदिर के महंत और पुजारियों को समझा-बुझा कर प्रतिमाओं को हटा रहे हैं और इस अभियान को आगे बढ़ाते रहेंगे।”

सपा एमएलसी का बयान: चुनावी स्टंट का आरोप

सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने इस विवाद को बीजेपी का चुनावी हथकंडा बताया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में साईं बाबा का सबसे बड़ा केंद्र है, और वहां की जनता का रुख बीजेपी के खिलाफ है। ऐसे में काशी में साईं प्रतिमाओं को हटाने का मुद्दा सिर्फ चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है। आशुतोष सिन्हा ने कहा कि काशी में विकास और महंगाई जैसे मुद्दों पर बीजेपी कभी आंदोलन नहीं करती, लेकिन चुनाव के समय धर्म आधारित मुद्दों को उठाना उनकी रणनीति बन चुका है।

आम बनारसी का रुख: बंटा हुआ समाज

वाराणसी के स्थानीय लोगों में भी इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग राय हैं। कुछ लोग साईं बाबा की प्रतिमाओं को हटाने का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक सद्भावना के खिलाफ मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि काशी एक ऐसा स्थान है, जिसने हमेशा सभी धर्मों और मतों को सम्मान दिया है। ऐसे में इस तरह की घटनाएं शहर के सौहार्दपूर्ण माहौल को प्रभावित कर सकती हैं।

FAQs: साईं बाबा के बारे में

साईं बाबा कौन थे?
साईं बाबा एक महान संत और फकीर थे, जो 19वीं सदी में महाराष्ट्र के शिरडी गांव में रहे। उन्हें हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा सम्मानित किया जाता है। साईं बाबा को चमत्कारी शक्तियों के लिए जाना जाता था और उन्होंने हमेशा सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया।

साईं बाबा का असली नाम क्या था?
साईं बाबा के असली नाम के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। उन्हें “साईं” नाम शिरडी में उनके आगमन के बाद दिया गया, जिसका अर्थ है “संत” या “फकीर”।

साईं बाबा का विवाद क्यों उठता है?
साईं बाबा की प्रतिमाओं को हिन्दू मंदिरों में स्थापित करने पर विवाद इसलिए उठता है, क्योंकि कुछ हिन्दू संगठनों का मानना है कि साईं बाबा हिन्दू देवता नहीं हैं और उनकी पूजा वैदिक परंपराओं के खिलाफ है।

साईं बाबा की प्रमुख शिक्षाएं क्या थीं?
साईं बाबा की प्रमुख शिक्षाएं “सबका मालिक एक”, “श्रद्धा और सबूरी” (विश्वास और धैर्य) पर आधारित थीं। उन्होंने हमेशा सभी धर्मों को एक समान माना और मानवता की सेवा को सर्वोच्च धर्म बताया।

साईं बाबा की प्रमुख आराधना स्थली कौन सी है?
साईं बाबा का प्रमुख मंदिर शिरडी, महाराष्ट्र में स्थित है, जिसे “साईं मंदिर” कहा जाता है। यहां लाखों श्रद्धालु हर साल बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।

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