प्रतीकात्मक चित्र
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या (Kolkata Rape Case) के मामले के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने आखिरकार अपनी हड़ताल खत्म करने (Doctors Call off Strike) का ऐलान कर दिया है। प्रदर्शन के 41वें दिन डॉक्टरों ने कहा कि वे शनिवार से आपातकालीन सेवाएं शुरू करेंगे, हालांकि ओपीडी सेवाएं फिलहाल बंद रहेंगी। इस हड़ताल के दौरान डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल सरकार के सामने पांच प्रमुख मांगें रखी थीं, जिनमें से अधिकांश मांगें ममता बनर्जी सरकार द्वारा मान ली गई हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म
आरजी कर अस्पताल में हुए भयानक रेप (RG Kar Rape Case) और मर्डर की घटना के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने तुरंत हड़ताल शुरू कर दी थी। डॉक्टरों की मांगें थीं कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर और अन्य उच्च अधिकारियों को पद से हटाया जाए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हुई बैठक के बाद राज्य सरकार ने ज्यादातर मांगों को मान लिया, जिससे डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म (Junior Doctor Strike End) करने का निर्णय लिया।
डॉक्टरों ने साफ किया कि न्याय के लिए उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि वे इसे आगे भी जारी रखेंगे। डॉक्टर अकीब ने कहा, “हमने आंदोलन के दौरान कई चीजें हासिल की हैं, लेकिन अभी भी कुछ मांगें बाकी हैं, जिन्हें हम नए तरीके से आगे बढ़ाएंगे।”
सुरक्षा के लिए नए निर्देश जारी, प्रमुख सचिव हटाने की मांग बरकरार
पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा और उनके कुशल कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। इनमें अस्पतालों में सीसीटीवी, पेयजल, ड्यूटी कक्ष और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता को पूरा करने की बात कही गई है।
इसके साथ ही, पूर्व पुलिस महानिदेशक सुरजीत कर पुरकायस्थ को सभी चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों में सुरक्षा ऑडिट के लिए नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार द्वारा जारी 10 निर्देशों में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को यथाशीघ्र लागू किया जाना चाहिए। हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स की यह मांग बनी हुई है कि प्रमुख सचिव को भी हटाया जाए।
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का लाइसेंस रद्द, सीबीआई की हिरासत में
इस मामले के मुख्य आरोपी, आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की गई है। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल (डब्ल्यूबीएमसी) ने संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया है, जिससे अब वह डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
संदीप घोष पर महिला प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या का आरोप है, जिसके बाद उन्हें सीबीआई द्वारा हिरासत में लिया गया है। घोष पर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में भी आरोप हैं, और उन पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का भी आरोप लगाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, डॉक्टरों को काम पर लौटने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की थी। कोर्ट ने कहा कि राज्य की जनता को चिकित्सा सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत के निर्देश और राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा से संबंधित उठाए गए कदमों के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया है।
हालांकि, डॉक्टरों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे न्याय की इस लड़ाई को जारी रखेंगे और आंदोलन को नए तरीके से आगे बढ़ाएंगे।