सुल्तानपुर के मेडिकल कॉलेज में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी है। जुकाम, बुखार और डायरिया जैसी बीमारियों के बढ़ते मामलों के चलते ओपीडी में भीड़ का आलम यह है कि सोमवार को ही 1950 मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें 1758 नए मरीज शामिल थे। मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ. एसके गोयल के अनुसार, रोजाना औसतन 1600 से 1700 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आ रहे हैं। इस भारी संख्या ने प्रशासनिक व्यवस्था को चरमराने पर मजबूर कर दिया है।
काउंटरों की कमी से मरीजों पर दोहरी मार
मेडिकल कॉलेज में नए मरीजों के लिए पर्चा बनवाना ही एक बड़ी चुनौती बन गया है। वर्तमान में महिला और पुरुष मरीजों के लिए केवल दो काउंटर हैं, जहां सुबह से ही लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं। ओपीडी में डॉक्टर के पास पहुंचना मरीजों के लिए मुश्किल हो गया है, और कई मरीज फर्श पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करने को मजबूर हो रहे हैं। इसके बाद दवा वितरण काउंटरों पर तो स्थिति और भी खराब है। यहां न केवल काउंटरों की कमी है बल्कि मरीजों को धूप और बारिश से बचाने की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
धूप और बारिश ने बढ़ाई मरीजों की मुश्किलें
मरीजों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। सोमवार को इलाज कराने आए मरीजों को पहले तो तीखी धूप ने सताया और फिर अचानक हुई बारिश ने उन्हें भीगने पर मजबूर कर दिया। चांदा की कुसुमा और धंमौर की साजिदा जैसी महिलाएं, जो लंबी लाइन में खड़ी थीं, धूप की मार सहन न कर सकीं और चक्कर खाकर जमीन पर बैठ गईं। जब बारिश शुरू हुई, तो दवा लेने की लाइन में खड़े लोग भीगते रहे और परिसर में पानी भरने से हालात और बदतर हो गए। ओपीडी, पैथोलॉजी और दवा काउंटर से बाहर निकलने के बाद मरीजों को भरे हुए पानी के बीच संघर्ष करते देखा गया।
प्रबंधन के दावे, काउंटर बढ़ाने के प्रयास
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव ने इस स्थिति को स्वीकार करते हुए कहा कि मरीजों की भीड़ बढ़ने से दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने बताया कि काउंटर बढ़ाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन परिसर में जगह की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि स्थिति को सुधारने के लिए जल्द ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, ताकि मरीजों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।