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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में अपनी हिंदुत्व नेता की छवि को लेकर सतर्कता बरती लेकिन हाल के समय में उन्होंने अपने हिंदुत्व के रुख को और सख्त कर लिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्य नेतृत्व में आंतरिक मतभेदों के उभरने और लोकसभा चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद योगी ने अपने निर्णयों से यह दिखाया है कि वह अपनी हिंदुत्ववादी छवि को और मजबूती से स्थापित करने के लिए तत्पर हैं।
लखनऊ के हिंदू-बहुल इलाकों में घरों को ध्वस्त होने से बचाया
पिछले महीने योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के दो हिंदू-बहुल कॉलोनियों पंत नगर और इंद्रप्रस्थ नगर के निवासियों को आश्वासन दिया कि उनके घरों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। ये घर सिंचाई विभाग द्वारा बाढ़ क्षेत्र में चिन्हित किए गए थे, जिससे निवासियों में डर था कि उनके घरों को तोड़ा जा सकता है। इसके पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने कुकरैल बंधे के पास 24.5 एकड़ क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए एक अभियान चलाया था, जिसमें 1800 ढांचे तोड़े गए थे। लेकिन हिंदू बहुल इलाकों के निवासियों को राहत दी गई जो कि योगी के बदलते रुख का संकेत था।
कांवड़ यात्रा मार्ग पर विक्रेताओं को नाम प्रदर्शित करने का आदेश
योगी सरकार के अगले बड़े कदम के रूप में पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों और विक्रेताओं को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया। यह आदेश मुजफ्फरनगर जिले में पहली बार जारी हुआ और इसे मुसलमानों के खिलाफ माना गया। हालांकि प्रशासन ने इस आदेश को उचित ठहराया और कुछ दिनों बाद इसे राज्य के अन्य हिस्सों में भी लागू कर दिया गया।
धर्मांतरण विरोधी कानून को और कठोर बनाने का प्रयास
जुलाई के अंत में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिससे इसे और सख्त बनाया जा सके। 30 जुलाई को विधानसभा ने इस संशोधन विधेयक को पारित किया, जिससे योगी सरकार ने ‘लव जिहाद’ के खिलाफ अपने रुख को और मजबूत किया। यह मुद्दा दक्षिणपंथी हिंदू समूहों और बीजेपी नेताओं द्वारा उठाया जाता है, जिसमें आरोप लगाया जाता है कि मुस्लिम पुरुष पहचान छुपाकर हिंदू महिलाओं को विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हैं।
एंटी-रोमियो स्क्वॉड को पुनः सक्रिय करना
योगी आदित्यनाथ ने अपनी अपराध के खिलाफ सख्त छवि को कायम रखने के लिए एंटी-रोमियो स्क्वॉड को पुनः सक्रिय करने का आदेश दिया। ये स्क्वॉड 2017 में योगी के पहले कार्यकाल में शुरू किए गए थे लेकिन 2019 के बाद इन्हें निष्क्रिय कर दिया गया था। इन स्क्वॉड्स का उद्देश्य सड़कों पर महिलाओं और लड़कियों के यौन उत्पीड़न को रोकना था लेकिन कुछ रिपोर्टों के अनुसार ये जोड़ों को भी परेशान करने लगे थे।
राम मंदिर आंदोलन के ध्वजवाहक के मूर्ति अनावरण में एकता की अपील
पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में राम मंदिर आंदोलन के ध्वजवाहक परमहंस रामचंद्र दास की मूर्ति का अनावरण करते हुए योगी ने सनातन धर्म पर ‘आगामी संकट’ के खिलाफ एकता की अपील की। उन्होंने राम मंदिर निर्माण को ‘अंतिम लक्ष्य’ नहीं बल्कि एक मील का पत्थर बताया और सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए अभियान को जारी रखने का आह्वान किया।
बांग्लादेश संकट पर योगी का बयान
योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश संकट और वहां के हिंदुओं की स्थिति पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति के कारण इस मुद्दे पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। योगी ने कहा- “हमारा कर्तव्य है कि हम बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करें और उन्हें संकट के समय में समर्थन दें।”
योगी की छवि में बदलाव
योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ द्वारा उन्हें राजनीतिक और धार्मिक जिम्मेदारियां सौंपने के बाद हुई। 1998 में गोरखपुर के सांसद बनने के बाद उन्होंने एक मजबूत हिंदुत्ववादी नेता की छवि बनाई। 2002 में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया, जिसने पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अपनी पैठ बनाई।
हालांकि 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी को भंग कर दिया और अपने रुख को थोड़ा नरम करने की कोशिश की। उन्होंने कांवड़ यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की परंपरा शुरू की और अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई की।
2022 में दोबारा सत्ता में लौटने के बाद योगी ने अपने रुख को और नरम किया और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, अब पार्टी के आंतरिक मतभेदों के बाद योगी आदित्यनाथ अपने पुराने सख्त हिंदुत्ववादी रुख की ओर लौटते नजर आ रहे हैं।