अमन सहरावत image credit-https://x.com/HaryanaAbvp
अमन सहरावत ने शुक्रवार को पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए पहली कुश्ती पदक जीता। पुरुषों की फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग में सहरावत ने प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज़ को 13-5 के अंतर से हराकर यह पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही सहरावत ने पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए कुल छठा पदक सुनिश्चित किया।
शानदार शुरुआत लेकिन सेमीफाइनल में हार
21 वर्षीय अमन सहरावत ने टूर्नामेंट के पहले दिन बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए राउंड ऑफ 16 और क्वार्टरफाइनल में तकनीकी श्रेष्ठता से जीत दर्ज की। हालांकि सहरावत को सेमीफाइनल में जापान के टॉप सीड खिलाड़ी रेई हिगुची के खिलाफ सीधे मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सहरावत ने कांस्य पदक के मुकाबले में जोरदार वापसी की और देश के लिए एक और पदक की उम्मीद जगा दी।
कांस्य पदक के मुकाबले में रोमांचक मोड़
कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में टोई क्रूज़ ने पहला पॉइंट हासिल किया जब उन्होंने सहरावत को खेल क्षेत्र से बाहर धकेला। लेकिन सहरावत ने तेजी से वापसी करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी का पैर पकड़कर उसे पलटा और दो पॉइंट हासिल किए। दोनों खिलाड़ियों ने इसके बाद एक दूसरे को पलटते हुए दो-दो पॉइंट और लिए, जिससे भारतीय खिलाड़ी पहले ब्रेक पर 4-3 की बढ़त में रहे।
दूसरे हाफ की शुरुआत में अमन ने बेहतरीन शुरुआत की और तुरंत तीन पॉइंट की बढ़त बना ली। लगभग दो मिनट शेष रहते हुए टोई क्रूज़ ने चिकित्सा सहायता की आवश्यकता महसूस की। इस दौरान अमन ने दो और तकनीकी पॉइंट लेकर अपनी बढ़त को 10-5 तक पहुंचा दिया। क्रूज़ की चोट ने उन्हें प्रभावित किया और सहरावत ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए सात पॉइंट की निर्णायक बढ़त बना ली, जिससे मुकाबला 13-5 पर समाप्त हुआ।
भारतीय कुश्ती में नया अध्याय
अमन सहरावत पेरिस ओलंपिक में भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान थे। उन्होंने केडी जाधव (1952 हेलसिंकी), सुशील कुमार (2008 बीजिंग और 2012 लंदन), योगेश्वर दत्त (2012 लंदन), रवि दहिया (2020 टोक्यो), और बजरंग पुनिया (2020 टोक्यो) के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाले छठे भारतीय पुरुष पहलवान बनकर इतिहास रच दिया।
शनिवार को भारत की आखिरी उम्मीद रितिका हुड्डा 76 किग्रा महिला फ्रीस्टाइल स्पर्धा में अपने अभियान की शुरुआत करेंगी। इसके अलावा विनेश फोगाट, जिन्हें महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में गोल्ड मेडल मुकाबले से पहले वज़न अधिक होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था, उन्होने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की है। CAS ने उनकी अपील स्वीकार कर ली है और अंतिम निर्णय ओलंपिक के समापन से पहले आने की संभावना है।