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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के शीघ्र समाधान की उम्मीद जताते हुए कहा कि जब तक कानून व्यवस्था बहाल नहीं हो जाती, भारत अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नजर रखेगा। उन्होंने 6 अगस्त को राज्यसभा में एक स्वत: संज्ञान बयान में कहा कि बांग्लादेश में हाल की हिंसा और अस्थिरता को लेकर भारतीय राजनीतिक स्पेक्ट्रम में चिंता साझा की जाती है।
शेख हसीना का इस्तीफा और भारत में शरण
जयशंकर ने बताया कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इस्तीफा देने का फैसला किया और बहुत शार्ट नोटिस पर भारत आने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा- “कल शाम वह दिल्ली पहुंची।” जयशंकर ने बांग्लादेश के साथ “असाधारण रूप से घनिष्ठ संबंधों” को याद करते हुए बताया कि देश में जनवरी 2024 के आम चुनावों के बाद से ही “काफी तनाव, गहरे विभाजन और बढ़ती ध्रुवीकरण” की स्थिति थी, जो जून में छात्र आंदोलन के रूप में उभर कर सामने आई थी।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले
जयशंकर ने बताया कि 4 अगस्त को स्थिति गंभीर हो गई जब अल्पसंख्यकों, उनके व्यवसायों और मंदिरों पर कई स्थानों पर हमले हुए। हालांकि उन्होंने कहा कि इन घटनाओं की पूरी जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय सरकार बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निरंतर संपर्क में है। बांग्लादेश में लगभग 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से लगभग 9,000 छात्र हैं। जयशंकर ने बताया कि जुलाई में अधिकांश भारतीय छात्र पहले ही भारत लौट चुके हैं।
अंतरिम सरकार का गठन और सेना की भूमिका
जयशंकर ने बताया कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-ज़मान ने अंतरिम सरकार के गठन के लिए राष्ट्रपति से बातचीत की और मुख्य विपक्षी दलों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से बातचीत की लेकिन शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से नहीं। सेना प्रमुख ने विरोध कर रहे छात्र नेताओं के साथ बैठक करने का भी निर्णय लिया है।
मोदी सरकार की प्रतिक्रिया
5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक की जिसमें जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हुए। जयशंकर ने प्रधानमंत्री को बांग्लादेश की स्थिति के बारे में जानकारी दी। इस बैठक के बाद भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
इस तरह भारत ,बांग्लादेश में स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। वहीं बांग्लादेश अब एक अंतरिम सरकार के गठन की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिससे देश में राजनीतिक स्थिरता बहाल हो सके।