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सुल्तानपुर सांसद के चुनाव पर विवाद
सुल्तानपुर के समाजवादी पार्टी सांसद रामभुआल निषाद के चुनाव को लेकर पूर्व भाजपा सांसद मेनका गांधी द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। यह याचिका 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा न करने के आधार पर दायर की गई थी।
याचिका की सुनवाई और तर्क
निषाद के चुनाव को चुनौती देते हुए मेनका गांधी ने आरोप लगाया कि निषाद ने अपने चुनावी हलफनामे में 12 आपराधिक मामलों में से केवल 8 का उल्लेख किया और चार मामलों में चार्जशीट दाखिल होने की जानकारी छुपाई। याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जस्टिस राजन रॉय की एकल-न्यायाधीश बेंच के सामने अपने तर्क प्रस्तुत किए।
अदालत की सवाल और याचिकाकर्ता का जवाब
सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि याचिका दाखिल करने में देरी क्यों हुई, क्योंकि चुनाव याचिका दायर करने की समय सीमा चुनाव के 45 दिनों बाद समाप्त हो जाती है। इस पर वकील ने विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए देरी के कारणों को स्पष्ट किया और बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका स्वीकार की जानी चाहिए।
निर्णय की प्रतीक्षा
याचिका 27 जुलाई को दायर की गई थी, जिसमें मेनका गांधी ने निषाद द्वारा चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, याचिका की स्थिरता पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अब सभी की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं, जो सुल्तानपुर के सांसद के चुनाव को वैध ठहराने या निरस्त करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण साबित होगा।
इस मामले का परिणाम चुनावी पारदर्शिता और आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की जानकारी देने की अनिवार्यता के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मिसाल पेश करेगा।