File Photo
झारखंड की जनसांख्यिकी में हो रहे तेजी से बदलाव पर चिंता जताते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर “घुसपैठ” के मुद्दे पर “मौन” रहने का आरोप लगाया है। सरमा ने कहा कि यह सिर्फ केंद्र सरकार की नहीं बल्कि सभी की जिम्मेदारी है कि घुसपैठ को रोका जाए।
वोट-बैंक की राजनीति और घुसपैठ का मुद्दा
सरमा, जो कि भाजपा के झारखंड चुनाव के सह-प्रभारी भी हैं, उन्होने कहा कि जेएमएम सरकार राज्य में वोट-बैंक की राजनीति के चलते घुसपैठ के मुद्दे पर मौन है। उन्होंने 2 अगस्त को जमशेदपुर के तुलसी भवन में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा- “झारखंड में असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के बाद जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव हो रहा है, लेकिन राज्य की गठबंधन सरकार ‘तुष्टीकरण’ के कारण इस मुद्दे पर चुप है।”
संथाल परगना क्षेत्र में घुसपैठ चरम पर
असम के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ अपने चरम पर है। उन्होंने कहा- “वे आदिवासियों और दलितों की जमीनें हड़प रहे हैं और उन पर अत्याचार कर रहे हैं।” सरमा के अनुसार, राज्य के 20 विधानसभा क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या 20% से बढ़कर 48% हो गई है। उन्होंने आगे कहा -“यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब घुसपैठिए विधानसभा में बैठेंगे”।
विधानसभा चुनाव और बीजेपी की रणनीति
झारखंड में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सरमा ने कहा कि राज्य में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन के खिलाफ “जबरदस्त असंतोष” है और भाजपा ही एकमात्र पार्टी है जो झारखंड की “गौरवशाली संस्कृति और परंपरा” और उसकी नदियों, जंगलों और भूमि की रक्षा कर सकती है।
संस्कृति और परंपरा की रक्षा
सरमा ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि भाजपा झारखंड की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा-“हम ही झारखंड की नदियों, जंगलों और जमीन की सुरक्षा कर सकते हैं और राज्य की संस्कृति और परंपरा को बनाए रख सकते हैं।”
जनसांख्यिकी में बदलाव की चिंता
सरमा ने कहा कि झारखंड की जनसांख्यिकी में हो रहे तेजी से बदलाव को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।उन्होंने कहा- “यह सिर्फ केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि राज्य सरकार और सभी नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे घुसपैठ को रोकने के लिए मिलकर काम करें,” ।
आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की रणनीति और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में क्या परिवर्तन आते हैं।