दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका- Delhi HC bail order
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में, निचली अदालत द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग केस में दी गई जमानत (Kejriwal high court order) पर रोक लगा दी। यह मामला अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति से जुड़ा हुआ है।
निचली अदालत के फैसले पर न्यायालय की टिप्पणी
न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने केजरीवाल को जमानत देते समय विवेक का उपयोग नहीं किया। अदालत ने यह भी आलोचना की कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रस्तुत किए गए “विशाल सामग्री” पर निचली अदालत द्वारा विचार न करने की टिप्पणी “पूरी तरह से अनुचित” है।
ईडी को सही मौका नहीं मिला
अदालत ने आगे कहा कि निचली अदालत को ईडी को “उचित अवसर” देना चाहिए था ताकि वे अपना मामला प्रस्तुत कर सकें। अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि निचली अदालत के जज ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 की शर्तों पर विचार नहीं किया।
पीएमएलए की धारा 45 पर उचित विचार नहीं
अदालत ने कहा, “इस अदालत की राय है कि निचली अदालत ने पीएमएलए की धारा 45 पर उचित रूप से विचार नहीं किया है।” केजरीवाल को मार्च में दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें चुनाव प्रचार में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और 2 जून तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक और सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी
इसके बाद, 20 जून को निचली अदालत ने उन्हें नियमित जमानत दी, जिस पर उच्च न्यायालय ने 21 जून को रोक लगा दी, यहां तक कि जमानत आदेश भी बाहर नहीं आया था। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत पर रोक लगाने के बाद, केजरीवाल ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय में अंतरिम रोक के खिलाफ अपील की।
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करने का निर्णय लिया और मामले की सुनवाई बुधवार तक टाल दी। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और एसवीएन भट्टी की अवकाश पीठ ने हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक को ‘असामान्य’ बताया और कहा कि रोक आदेश सामान्यतः उसी दिन आरक्षित और घोषित किए जाते हैं।