मोदी कैबिनेट 3.0 (new cabinet) में चिराग पासवान का योगदान
लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के चिराग पासवान को नई केंद्रीय कैबिनेट (Union cabinet) में शामिल किया गया है। चिराग पासवान, जिन्होंने हाजीपुर (Hajipur) लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, ने मोदी की 3.0 कैबिनेट में मंत्री पद हासिल किया है। यह पासवान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो कभी एक फिल्मी सितारे बनने का सपना देख रहे थे, और अब एक केंद्रीय मंत्री के रूप में स्थापित हो गए हैं।
हाजीपुर सीट की खासियत
हाजीपुर सीट पासवान के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि उनके पिता, स्वर्गीय राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने इस सीट का कई बार प्रतिनिधित्व किया था। राम विलास पासवान ने 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की स्थापना की थी।
राजनीतिक संघर्ष और नई पार्टी की स्थापना
चिराग पासवान की उपलब्धि विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी पार्टी में पहले कई विभाजन हुए थे, जिसका उनके चाचा पशुपति पारस ने नेतृत्व किया था, जिसके कारण चिराग ने पार्टी का आधिकारिक प्रतीक भी खो दिया था। इसने पासवान को 41 वर्ष की आयु में नई राजनीतिक पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) को स्थापित करने के लिए मजबूर किया, जिसने 2024 के लोकसभा चुनावों में पांच सीटें जीतीं।
चिराग पासवान का राजनीतिक सफर
चिराग पासवान का राजनीतिक सफर 2012 में शुरू हुआ जब उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में शामिल हुए। दो साल बाद, 2014 में, उन्होंने बिहार के जमुई निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। यह सीट पासवान परिवार के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है क्योंकि उनके पिता ने इसे 1977 से आठ बार जीता था।
संसदीय अनुभव और नेतृत्व
सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई संसदीय समितियों में सेवा दी और एलजेपी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर रहे। 2019 में, वह जमुई निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुने गए और उस साल के अंत में एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1983 में जन्मे चिराग ने दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से पढ़ाई की। उन्होंने 2005 में झांसी के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बी.टेक की पढ़ाई शुरू की, लेकिन तीसरे सेमेस्टर में पढ़ाई छोड़ दी।
बॉलीवुड से राजनीति तक का सफर
राजनीति में आने से पहले चिराग पासवान का बॉलीवुड में संक्षिप्त करियर था। 2011 में, उन्होंने कंगना रनौत के साथ फिल्म “मिले ना मिले हम” में डेब्यू किया, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही। इसके बाद चिराग ने 2012 में फिल्म इंडस्ट्री छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
एलजेपी में महत्वपूर्ण भूमिका
चिराग का राजनीति में प्रवेश एलजेपी के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने 2014 में BJP के साथ गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उनके पिता को 2002 के गुजरात दंगों के बाद टूटे हुए संबंधों को फिर से जोड़ने के लिए राजी किया गया । चिराग के प्रयासों ने एलजेपी को तेजी से पुनर्जीवित किया, जिसने 2009 में शून्य से 2014 में छह सीटें जीतीं।
विवाद और पारिवारिक संघर्ष
2020 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ टकराव का सामना किया। 2021 में, एलजेपी के पांच सांसदों ने पासवान के खिलाफ रैली की और पारस के साथ हाथ मिला लिया। हालांकि, बाद में सब कुछ सुलझा लिया गया।
संपत्ति और वित्तीय स्थिति
चुनाव आयोग (ईसी) को सौंपे गए हलफनामे के अनुसार, सांसद चिराग पासवान की कुल संपत्ति ₹2.68 करोड़ है, जिसमें ₹1.66 करोड़ की चल संपत्ति और ₹1.02 करोड़ की अचल संपत्ति शामिल है।
चिराग पासवान की यह यात्रा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और चुनौतियों से भरी रही है, जो उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित करती है।
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